सेन्ट्रल डेस्क, अरफा जावेद- रेलवे के निजीकरण को लेकर बहुत सारे लूप होल्स सामने आ रहे हैं। लगातार निजीकरण से जुड़े इस मुद्दे को सरकार के सामने लाया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार उर्फ़ सुशासन बाबू भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या सुशासन बाबू की छवि वाले नितीश कुमार अपनी नाक के नीचे हो रहे इस घोटाले को रोकने में सफल होंगे या नहीं? इसके अलावा रेलवे मंत्री पीयूष गोयल भी इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
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बता दें कि बिहार के तक़रीबन 27 स्टेशनों के पूछताछ केंद्रों पर निजीकरण किया जाना था। इसमें बिहार के समस्तीपुर, दरभंगा, जयनगर, मधुबनी आदि शामिल हैं। रेलवे ने इस काम का ठेका वेबटेक इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी को सौंपा था। यहां पर दिलचस्प बात यह है कि जिस कंपनी को यह ठेका दिया गया है, वह कंपनी वास्तव में है ही नहीं। मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स की वेबसाइट पर इस कंपनी के बारे में कोई जानकारी मौजूद नहीं है। वेबसाइट पर इस कंपनी का साल 2007 में आख़िरी बार बैलेंस शीट फाइल हुआ था। इस हिसाब से यह कंपनी एक तरह से निष्क्रिय है।
कंपनी के फर्ज़ी होने के बावजूद अभी भी इस कंपनी के कर्मचारी बिहार के कई स्टेशनों पर काम करते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि प्रशासन इस फर्ज़ीवाड़े को रोकने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा रहा है?