चीन ने पूर्वी लद्दाख में अपनी निर्माण गतिविधियां और तेज कर दी हैं।बता दे की सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ जारी सैन्य वार्ताओं के बीच उसने इन्हें नहीं रोका है। खबरों के मुताबिक पैंगोंग त्सो झील के पास उसका पुल निर्माण का कार्य लगभग पूरा होने वाला है।इसके अलावा गलवान इलाके में भी वह सड़कें व पुल बना रहा है। उपग्रह से ली गई तस्वीरें जारी करते हुए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने यह दावा किया है।
पैंगोंग त्सो झील इलाके की उपग्रह से मिली नई तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने इस झील के उत्तरी व दक्षिणी तटों को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण कार्य शीतकाल में और तेज कर दिया। बता दे की यह पुल भारत द्वारा दावा की जा रही सीमा रेखा के एकदम करीब और दशकों से चीन के कब्जे में रहे हिस्से में बनाया जा रहा है। खबरों के मुताबिक चीन ने झील के उत्तरी इलाके में निर्माण कार्य पिछले साल सितंबर में शुरू किया था।और अब यह दक्षिणी तट से कुछ मीटर दूर ही बाकी रह गया है भारत से सटे इस सीमावर्ती इलाके में चीन ने शीतकाल में भी निर्माण कार्य तेजी से जारी रखा। इसके साथ ही चीन ने ऐसी ही निर्माण गतिविधियां गलवान इलाके में भी की हैं।
वही उपग्रह की तस्वीरों के विश्लेषण से पता चलता है कि चीन द्वारा तैयार किया जा रहा पुल करीब 315 मीटर लंबा है। जो झील के दक्षिण तट को उत्तर तट से जुड़े इलाके में हाल में बनाई गई सड़क से जोड़ता है। चीनी मशीनें व निर्माण में जुटे संसाधन भी तस्वीरों में देखे जा सकते हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस माह के आरंभ में कहा था कि पुल का निर्माण उस इलाके में किया जा रहा है, जिस पर चीन ने बीते 60 वर्षो से अवैध कब्जा कर रखा है और भारत को उसका यह अवैध निर्माण मंजूर नहीं है।
दरअसल, चीन पैंगोंग इलाके में निर्माण कार्य इसलिए कर रहा है, क्योंकि वह अगस्त 2020 की स्थिति फिर नहीं बनने देना चाहता है। तब भारतीय सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को धता बताते हुए कैलाश पर्वत की कई महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद पैंगोंग के दक्षिण तट पर दोनों देशों की सेनाएं 200 मीटर से कम दूरी पर होकर आमने-सामने आ गई थीं। हालांकि तब दोनों पक्षों ने परस्पर समझौता कर अपनी अपनी सेनाएं पीछे हटा ली थीं।
आपको बता दे की चीन व भारत का सैन्य जमावड़ा पूर्वी लद्दाख में पहले से ही है जिसके चलते दोनों देशों ने वहां बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया है। हालांकि वास्तविक नियंत्रण रेखा के निर्धारण को लेकर दोनों देशों के बीच अभी तकरार जारी है। कई इलाकों पर चीन दावा कर रहा है तो वही भारत भी अपने दावे पर अड़िग है। पिछले सालों में चीन ने कई बार भारतीय क्षेत्रों में घुसने की भी कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना के कड़े विरोध व प्रतिरोध के कारण उसे पीछे हटना पड़ा है। भारत के लिए चीन द्वारा पुल बनाए जाने से यह मुश्किल है कि वह इसके जरिए अपने सैनिक व साजो सामान तेजी से इलाके में भेज सकेगा। लेकिन भारत ने भी क्षेत्र में अपनी मूलभूत तैयारियां मजबूत की हैं।