यह ग्रहण जापान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, सिंगापुर, बर्मा आस्ट्रे्लिया, दक्षिणी अमरीका, प्रशांत और हिन्द महासागर में भी दिखेगा. यह चंद्र ग्रहण दोपहर में करीब सवा 3 बजे शुरू होगा और शाम को 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा
प्रिंस कुमार
आज साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. आज वैशाख पूर्णिमा भी है. आज लगने वाला यह ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा. हालांकि यह उपछाया चंद्र ग्रहण है, लिहाजा इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. ज्योतिष के मुताबिक सिर्फ उन्हीं ग्रहणों का धार्मिक महत्व होता है, जिन्हें खुली आंखों से देखा जा सके. उपछाया चंद्र ग्रहण को देखने के लिए खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों की जरूरत होती है. इस ग्रहण में चंद्रमा मटमैला दिखाई देगा.
ग्रहण काल-
ग्रहण आरंभ- 15: 15 PM
खग्रास आरंभ- 16:40 PM
ग्रहण मध्य- 16:49 PM
ग्रहण समाप्त-16:58 PM
खग्रास समाप्त- 18:23 PM
ग्रहण काल-ग्रहण आरंभ- 15: 15 PM
खग्रास आरंभ- 16:40 PM
ग्रहण मध्य- 16:49 PM
ग्रहण समाप्त-16:58 PM
खग्रास समाप्त- 18:23 PM
ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू के मुताबिक 2021 का प्रथम खग्रास चंद्र ग्रहण आज पूर्वोत्तर भारत में बहुत कम समय दिखाई देगा. बंगाल, अरुणाचल, नागालैंड, असम, त्रिपुरा, मेघालय में बहुत कम समय के लिए दिखाई देगा.
वहीं भारत के बाकी हिस्से में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा. भारत के अलावा यह ग्रहण जापान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, सिंगापुर, बर्मा आस्ट्रे्लिया, दक्षिणी अमरीका, प्रशांत और हिन्द महासागर में भी दिखेगा. यह चंद्र ग्रहण दोपहर में करीब सवा 3 बजे शुरू होगा और शाम को 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.
पूरब में 26 मई की शाम को आसमान पर पूर्ण चंद्र ग्रहण के ठीक बाद एक दुर्लभ विशाल और सुर्ख चंद्रमा यानि सुपर ब्लड मून नजर आएगा.चूंकि यह ग्रहण कोरोना काल में लग रहा है, लिहाजा इस पहलू से भी इस ग्रहण का विश्लेषण किया जा रहा है.
चूंकि ग्रहण से पहले 23 मई को ही शनि वक्री हो गए हैं, ऐसे में यह देखना जरूरी है कि ग्रहण के बाद शनि इस महामारी पर कैसा असर डालेंगे.
ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू कहते हैं कि ज्योतिष में शनि को बीमारी, अस्पताल, इलाज पर होने वाले खर्च, मृत्यु आदि से भी जोड़ा गया है. जैसे ही 2019 में गुरु- शनि का संगम हुआ, कोरोना का जन्म हो गया.
हालांकि ज्योतिषी एक जगह ठीक से आंकलन नहीं कर पाए कि गुरु राहू के नक्षत्र में था जो धोखा देता है. इस स्थिति में लगता है कि काम हो गया किन्तु वह छल कपट या धोखे से वार करता है. यही 2021 की शुरुआत में लगा कि कोरोना जा रहा है, जिंदगी पटरी पर आ रही है ,परंतु राहू ने अपना असली चेहरा दिखा दिया और रूप बदल-बदल कर मानव जीवन को नुकसान पहुंचाता गया.
चंद्र ग्रहण कोरोना काल में 26 मई को वृश्चिक राशि में लग रहा है और 23 मई 2021 को शनि वक्री हो गए हैं. इससे संक्रमण में कुछ कमी दिखनी आरंभ हो जाएगी. मान्यता है वक्री होने से शनि कमजोर पड़ जाते हैं.
अब शनि महाराज 141 दिन उल्टे चलेंगे. धनु, मकर और कुंभ वालों पर साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन व तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है. 11 अक्टूबर 2021 से शनि मार्गी हो जाएंगे और 2023 तक मकर राशि में ही रहेंगे.
अक्टूबर 2021 में कोरोना फिर सिर उठा सकता है. वैज्ञानिक इसे तीसरी लहर भी कह सकते हैं. भारत इस महामारी से लड़ने में पूर्ण सक्षम रहेगा लेकिन कोरोना से मुक्ति अप्रैल 2022 से मिलेगी. हालांकि इसका कम या ज्यादा असर 2023 तक रहेगा।
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