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पाकिस्तान में मृतक पत्रकार हसनैन शाह को इंसाफ दिलाने के लिए सड़कों पर उतरे लोग

पाकिस्तान के लाहौर में बीते दिन प्रेस क्लब के बाहर हुई एक वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार की हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बता दें कि देश भर में पत्रकार हसनैन शाह की हत्या के मामले को लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरु हो गया है। जिसके चलते इस घटना के विरोेध में पाकिस्तान समाचार पत्र संपादक, पाकिस्तान फेडरल यूनियन आफ जर्नलिस्ट समेत बिजली विकास प्राधिकरण के कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। ये लोग हत्याकांड के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने पत्रकार हसनैन शाह के परिवार को जल्द से जल्द इंसाफ दिलाने की भी मांग की

खबरों के मुताबिक, उन्होंने सरकार से पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करने का भी आग्रह किया है। बता दे की लाहौर निवासी 40 वर्षीय हसनैन शाह एक निजी टीवी चैनल में क्राइम रिपोर्टर थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। वही पंजाब के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया की हसनैन शाह जब प्रेस क्लब के बाहर अपनी कार खड़ी कर रहे थे, तब मोटरसाइकिल पर सवार दो लोगों ने उन पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं, और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।

जानकारी के मुताबिक शाह को लाहौर प्रेस क्लब के बाहर अज्ञात मोटरसाइकिल पर सवार हमलावरों ने गोली मार दी थी। वही देश में कानून-व्यवस्था की बदहाल स्थिति का जिक्र करते हुए पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने लाहौर के पत्रकार की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि, जिस तरह से एक पत्रकार की दिनदहाड़े लाहौर में हत्या की गई, उसने विफल कानून-व्यवस्था की स्थिति और पत्रकारों के अंदर एक डर के माहौल को पैदा कर दिया है

इसके अलावा लाहौर इकोनामिक जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने भी पत्रकार हसनैन की हत्या की निंदा की करते हुए कहा कि, पत्रकारों का जीवन सुरक्षित नहीं है, और प्रशासन उनकी रक्षा करने में विफल रहा है। वहीं, लाहौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष आजम चौधरी के मुताबिक प्रेस क्लब के सामने दिनदहाड़े एक पत्रकार की हत्या सरकार के लिए शर्मनाक है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि, यदि दोषियों को जल्द नहीं पकड़ा गया तो अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स ने बताया की पाकिस्तान में 2021 में तीन पत्रकार मारे गए थे। उन्होंने कहा कि एक ही साल में दुनिया भर में 45 पत्रकार मारे गए। इनमें अफगानिस्तान में नौ पत्रकार शामिल हैं, जो किसी एक देश में पत्रकारों की मौत की सबसे अधिक संख्या है।

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