मध्य प्रदेश व राजस्थान के बांधों से छोड़े गए पानी के दबाव के बीच बुधवार की शाम यमुना भी खतरे के निशान को पार कर गई। गंगा-यमुना के रौद्र रूप से बाढ़ का संकट और गहरा गया है। तटवर्ती सैकड़ों बस्तियों, गांवों में पानी घुसने से स्थिति चिंताजनक हो गई। वहीं तीन दिन पहले राजस्थान के कोटा और धौलपुर बांधों से छोड़े गए पानी के अगले 24 घंटे के भीतर यहां पहुंचने का अनुमान है, जिससे बाढ़ का पानी शहर के कुछ हिस्सों में भी दाखिल हो सकता है। प्रशासन ने राहत व बचाव के लिए कमर कस ली है।
फिलहाल गंगा और यमुना एक सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रही हैं। माना जा रहा है कि जलस्तर में वृद्धि की रफ्तार यदि इससे अधिक नहीं बढ़ी तो बाढ़ से विस्थापन और बर्बादी का दायरा सिमट सकता है। सिंचाई विभाग बाढ़ खंड की ओर से बुधवार की शाम जारी बुलेटिन के अनुसार गंगा के बाद शाम चार बजे यमुना भी खतरे के निशान पर पहुंच गई। फिलहाल बांधों से बुधवार को बड़ी जलराशि गंगा-यमुना में न छोड़े जाने से थोड़ी राहत महसूस की जा रही है। अब प्रशासन का पूरा जोर राजस्थान के बांधों से छोड़े गए पानी के यहां असर से निबटने को लेकर है।
जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी ने अफसरों के साथ बाढ़ राहत व बचाव की तैयारियों की समीक्षा की। साथ ही राहत शिविरों व बांधों की स्थिति भी उन्होंने देखी। प्रभावित इलाकों में संक्रमण न फैलने पाए, इसके लिए नगर निगम और चिकित्सा विभाग को कड़ी हिदायत दी। राहत शिविरों में खाने के पैकेट, बिजली, पानी व दवा के समुचित इंतजाम रखने के निर्देश दिए। उधर, कछारी इलाकों की बस्तियों में बाढ़ का पानी बुधवार को और फैलने से बर्तन, बिस्तर और अनाज लेकर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए दिन भर मशक्कत जारी रही।
गंगा का जलस्तर शाम छह बजे
फाफामऊ -84.99 मीटर
छतनाग – 84.26 मीटर
यमुना का जलस्तर
नैनी – 84.82 मीटर
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खतरे का निशान- 84.73 मीटर
Written By: Simran Gupta
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