कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों और सरकार के बीच आज दोपहर 2 बजे छठे दौर की बातचीत होगी। बातचीत से पहले गृह मंत्री अमित शाह के घर पर मंत्रियों की बैठक हुई. जिसमें कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश शामिल हुए.. ये बैठक करीब 2 घंटे तक चली.. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने समाधान के लिए फाइनल फॉर्मूला तैयार कर लिया है..सूत्रों का कहना है कि तीन कानून रद्द करने की मांग को छोड़कर बाकी सभी मांगों पर सरकार किसानों को फॉर्मूला देगी.. सरकार को भरोसा है कि बैठक में समाधान निकल जाएगा। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के न्योते को स्वीकार करते हुए एक चिट्ठी भेजी है….चिट्ठी में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग फिर दोहराई गई है..साथ ही साथ MSP पर खरीद की गारंटी देने की भी मांग है…चिट्ठी में कहा गया है कि तर्कपूर्ण समाधान के लिये इसी एजेंडा के अनुसार चलना ज़रूरी है।
वहीं इससे पहले NCP प्रमुख और देश के कृषि मंत्री रह चुके शरद पवार ने केंद्र सरकार को किसानों के मुद्दे को गंभीरता से लेने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिना राज्यों से मशविरा किए तीनों नए कृषि कानून थोप रही है। सरकार दिल्ली में बैठकर खेती-किसानी चलाना चाहती है, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता।
इससे पहले सोमवार को ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली UPA सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए शरद पवार भी कृषि सुधार चाहते थे, लेकिन सियासी दबाव के कारण नहीं कर पाए।
इस पर पवार ने जवाब देते हुए कहा वो कृषि सुधार करना चाहते थे, लेकिन इस तरह नहीं जैसे ये सरकार कर रही है। पवार ने आरोप लगाया कि इस बार केंद्र ने न तो राज्यों से सलाह ली और न ही इन कानूनों को तैयार करने से पहले राज्य के कृषि मंत्रियों के साथ बैठक की। उन्होंने संसद में अपनी ताकत के बल पर बिलों को पारित कर लिया इसीलिए ये सभी समस्याएं शुरू हुई हैं।
हालांकि इससे पहले किसान संगठनों की तरफ से विपक्ष पर भी निशाना साधा जा चुका है। किसानों की तरफ से तंज करते हुए कहा गया है कि अगर विपक्ष मजबूत होता तो किसानों को सड़क पर उतरने की जरूरत नहीं पड़ती।