पिछले करीब डेढ़ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं। आज किसानों और सरकार के बीच आठवें दौर की वार्ता हुई लेकिन इसमें भी पिछली बैठकों की तरह ही कोई भी नतीजा नहीं निकल सका है। हालांकि बैठक के दौरान अगले दौर की बातचीत को लेकर सहमति बनी है और अब दोनों पक्ष फ़िलहाल इस पर राज़ी हुए हैं कि 15 जनवरी को फिर से बातचीत की जाएगी।
बैठक खत्म होने के बाद किसान संगठन ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मुल्लाह ने कहा कि बातचीत के दौरान, गरम बहस हुई और हमने कह दिया कि हम कृषि क़ानूनों को वापस लेने के अलावा कुछ भी नहीं चाहते हैं। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो हमारी लड़ाई ऐसे ही चलती रहेगी। 26 जनवरी को हमारी प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड तय योजना के मुताबिक ही होगी।
वहीं किसान संगठन के नेताओं ने कोर्ट का रुख करने से इनकार करते हुए कहा कि किसान का सीधा सवाल सरकार से है इसलिए हम कोर्ट नहीं जाएंगे। सरकार के क़ानूनी अधिकार को चुनौती नहीं दी जा रही है, लेकिन ये क़ानून ग़लत हैं जिन्हें हम ख़त्म कराकर ही पीछे हटेंगे।
वहीं बातचीत को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि तारीख पर तारीख चल रही है. बैठक में सभी किसान नेताओं ने एक आवाज़ में कानूनों को हटाने की मांग रखी है. हम चाहते हैं कानून वापस हो, सरकार चाहती है संशोधन हो, सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हमने भी सरकार की बात नहीं मानी
वहीं इस बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस दौर की बातचीत में भी दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन सकी है। किसान संगठन कृषि कानून को वापस कराने पर अड़े हैं अगर वो इसके अलावा कोई विकल्प चुनते हैं तो हम उस पर विचार करने के लिए तैयार हैं लेकिन किसानों की तरफ से इसके अलावा कोई भी विकल्प नहीं रखा गया है। अब 15 जनवरी को किसानों के साथ फिर से बातचीत होगी।
किसानों और सरकार के बीच हुई बातचीत में एक बार फिर सहमति नहीं बन सकी है। अब किसानों की तरफ से पहले ही 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड का ऐलान किया जा चुका है। देखने वाली बात ये होगी कि क्या किसानों सरकार 15 जनवरी को होने वाली बैठक में मना पाती है फिर नहीं?