सेन्ट्रल डेस्क, दीपक- हाल ही में लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी ने मोदी सरकार पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया है। इसके साथ-साथ लालू प्रसाद के बेटे व बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर विश्वविद्यालयों में 13 प्वाइंट रोस्टर लागू करने पर विरोध जताया है। इस मुद्दे को लेकर आज दिल्ली के मंडी हाऊस मेट्रो से संसद मार्ग तक विशाल पैदल मार्च निकाला गया। इस मार्च में कई राजनीतिक दल व कई संगठन शामिल हुए। इस मार्च में मुख्य रुप से आरजेडी, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी, दिल्ली से आम आदमी पार्टी, भीम आर्मी और साथ ही कई छात्र संगठन भी शामिल हुए।
इस मार्च द्वारा सभी पार्टियों की एक ही मांग थी की सरकार 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ अध्यादेश लाये। उन्होंने आगे कहा कि रोस्टर की साजिश यह है कि जब तक किसी विभाग में 4 सीटें विज्ञापित नहीं होंगी, तबतक कोई ओबीसी वर्ग से प्रोफेसर नहीं बन पाएगा। सात सीटें एक साथ नहीं आएंगी, तो कोई दलित नहीं आ पाएगा और एकमुश्त 14 सीटें नहीं हो पाएंगी।
यूजीसी के नए नियम के मुताबिक आरक्षण को विभाग वार लागू किया जाएगा। पहले वेकैंसी 200 प्वाइंट रोस्टर के हिसाब से निकलती थी, लेकिन अब 13 प्वाइंट रोस्टर बना दिया गया है। यूजीसी के इस नियम पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुहर लगा दी है। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी 13 प्वाइंट रोस्टर को सही करार दिया है।
13 प्वाइंट रोस्टर में क्या है?
यूजीसी के मुताबिक, 14 से कम पद जहां होंगे वहां 13 प्वाइंट रोस्टर लागू होगा और उससे अधिक पद होंगी तो 200 प्वाइंट रोस्टर लागू किया जाएगा।
इसके अनुसार पहला, दूसरा और तीसरा पद अनारक्षित के लिए होगा, जबकि चौथा पद ओबीसी कैटेगरी के लिए आरक्षित होगा। पांचवां और छठा पद अनारक्षित के लिए होगा और 7वां पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होगा। 8वां पद ओबीसी के लिए आरक्षित होगा और फिर 9वां, 10वां, 11वां पद अनारक्षित के लिए होगा। 12वां पद ओबीसी के लिए आरक्षित होगा और 13वां पद अनारक्षित के लिए होगा। 14वां पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होगा।
इसका मतलब है कि अगर किसी यूनिवर्सिटी में चार पदों के लिए वेकैंसी निकलती है तो ओबीसी को, सात पदों की निकलती है तो अनुसूचित जाति को और 14 पदों की निकलती है तो अनुसूचित जनजाति को मौका मिलेगा।
बता दें की आरजेडी ने सवर्ण आरक्षण के लागू नहीं करने को लेकर संसद में विरोध किया था और इसके लागू होने के बाद सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। आरजेडी के नेता लगातार बयान दे रहे हैं कि वह सवर्ण आरक्षण के विरोधी नहीं है। वहीं दूसरी ओर उनका कहना है कि सवर्ण आरक्षण की वजह से बहुजनों के आरक्षण का गला घोंटा जा रहा है।