हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि राज्य में भी NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन) लागू होगा. उत्तराखंड सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण राज्य है. क्योंकि इसकी सीमाएं चीन और नेपाल से सटी हुई हैं. आज देहरादून में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमान्त प्रदेश होने के कारण उत्तराखंड में भी NRC लागू किया जा सकता है. इस संबंध में वह मंत्रिमंडल से विचार विमर्श करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी तो उत्तराखंड में भी NRC लागू किया जाएगा.
NRC लागू करने का उद्देश्य देश के वास्तविक लोगों को रहने का दर्जा दिलाना और अवैध प्रवासियों की शिनाख्त करना है. NRC असम में ऐसा पहली बार साल 1951 में पंडित नेहरू की सरकार द्वारा असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बारदोलोई को शांत करने के लिए किया गया था. बारदोलाई विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान से भाग कर आए बंगाली हिंदू शरणार्थियों को असम में बसाए जाने के खिलाफ थे.
आपको बता दे साल 1980 के दशक में वहां के कट्टर क्षेत्रीय समूहों द्वारा एनआरसी को अपडेट करने की लगातार मांग की जाती रही थी. असम में इन आंदोलन को समाप्त करने के लिए राजीव गांधी सरकार ने 1985 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें 1971 के बाद आने वाले लोगों को एनआरसी में शामिल न करने पर सहमति व्यक्त की गई थी.
Written by – Ashish kumar
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