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लड़की होने की वजह से नहीं दिया था दाखिला, शेफाली ने लड़की बन ली थी ट्रेनिंग

मंगलवार को खेले गए मुकाबले में भारतीय महिला क्रिकेट टीम को जीत दिलाने में युवा खिलाड़ी शैफाली वर्मा ने अहम भूमिका निभाई। दक्षिण अफ्रीका महिला क्रिकेट टीम के खिलाफ सुरत में शेफाली जमकर लड़ती दिखी। शैफाली हरियाणा के रोहतक की रहने वाली हैं। भारतीय महिला क्रिकेट टीम में सबसे कम उम्र में टी-20 इंटरनेशनल में डेब्यू करने वाली 15 साल की बैट्समैन शैफाली ने क्रिकेट की ट्रेनिंग एक लड़के के रूप में लेनी शुरू की थी, क्योंकि उनके शहर में लड़कियों के लिए क्रिकेट एकेडमी नहीं थी।


 

उन्होंने अपने क्रिकेट के लिए जुनूनी पिता संजीव वर्मा के निर्देश पर अपने बाल कटवा लिए थे। क्योंकि हरियाणा के रोहतक जिला के सभी क्रिकेट एकेडमी ने उन्हें दाखिला देने से मना कर दिया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार रोहतक में जूलरी दुकान चलाने वाले शैफाली के पिता संजीव ने बताया कि कोई मेरी बेटी को लेना नहीं चाहता था, क्योंकि रोहतक में लड़कियों के लिए एक भी एकेडमी नहीं थी। मैंने उनसे बहुत आग्रह किया कि वे मेरी बेटी को अपने यहां ट्रेनिंग देने के लिए शामिल कर ले, लेकिन किसी ने भी मेरी बात नहीं सुनी। उन्होंने कहा कि आखिरकार मजबूर होकर मैंने अपनी बेटी के बाल कटवा कर उसे एक एकेडमी ले गया और लड़के की तरह उसका ऐडमिशन कराया।


 

शैफाली ने मंगलवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 33 बॉल में 46 रन बनाए। हालांकि, अपने डेब्यू मैच में वह सिर्फ 4 गेंद खेल पाई थीं। शैफाली को भारतीय टीम में खेलने का मौका तब मिला जब उन्होंने घरेलू सीजन में 1923 रन बनाए, जिसमें छह शतक और तीन अर्ध शतक शामिल हैं।
शैफाली के पिता बताते हैं कि, जब वह लड़कों के साथ खेलती थी पड़ोसी और रिश्तेदारों के ताने सुनने पड़ते थे। वे कहते थे कि तुम्हारी लड़की लड़कों के साथ खेलती है, लड़कियों का क्रिकेट में कोई भविष्य नहीं है, लेकिन आज वही लोग तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।

Written by: prachi jain

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