जब 'लव जिहाद' के संकट के संदर्भ में हिन्दू बंधु बताते हैं, तब 'विवाह करनेवाली हिन्दू युवती और मुसलमान युवक को किससे विवाह करना है, यह उनका संवैधानिक अधिकार है' ऐसा तर्क मुसलमान और धर्मनिरपेक्ष लोग देते हैं; लेकिन जब 'समान नागरिक कानून', 'गोहत्या रोकना', जैसे अनेक विषय आते हैं, तब मुसलमान और धर्मनिरपेक्षतावादी संविधान की बात न कर हिन्दू अल्पसंख्यकों की भावनाओ का विचार करें, ऐसी विनति करते हैं।- अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर
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