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अमित शाह , UP राजनीति और रणनीति

UP Politics the Balancing Act

UP via Jammu   

5 अगस्त 20, निश्चित ही भाजपा के लिए मील का पत्थर है। राम मंदिर भूमि पूजन के अपने वादे को पूरा करने के बाद इस दिन को कई नए आयाम की आधारशिला के तौर पर भी देखा जा रहा है। पिछले साल 2019 में धारा 370 को हटाए जाने से भी पहले से भाजपा लगातार अपनी महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने में लगी थी। इसके भी दो पहलू थे एक तो UP व अन्य राज्यों में विपक्षी नेताओं का जनसमर्थन जो शायद हर बार मोदी लहर से ना डोले दूसरा राष्ट्रीय मुद्दे के तौर पर कश्मीर में अलगाव व आतंकवाद को सही अंजाम तक ले जाना।

UP की राजनीति : एक तीर दो शिकार

राजनीति की बिसात पर एक तरफ़ योगी आदित्यनाथ की अगुयायी में उत्तरप्रदेश को लम्बे दौर की राजनीति के लिए तैयार किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर मनोज सिन्हा को जम्मू के नए LG के लिये नामित करते ही सक्रिय राजनीति से हटा फिर एक तीर से दो शिकार किए गए।

पहला तो यह की मनोज सिन्हा जो पिछले चुनावों के बाद UP CM की दौड़ में योगी से अंतिम समय में पीछे छूट गए और आगामी चुनावों में ख़तरा भी हो सकते थे, दूसरा यह कि मनोज सिन्हा, भाजपा द्वारा नामित जम्मू के तीसरे प्रशासक होंगे, जो केंद्र की नितियों को आगे बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार होंगे। स्थानीय राजनीति के रंगमंच से दूर, पर्दे के पीछे से लिखी जा रही इस पटकथा में जम्मू व कश्मीर के नए नायक मनोज सिन्हा को एक तरह से UP CM की कुर्सी ना मिल पाने का मुआवज़ा मिल गया।

एक नज़र शाह की जम्मू टीम पर

भारतीय राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की दूर दृष्टि और संगठनात्मक कुशलता को देखना हो तो पिछले तीन साल में जम्मू भेजे गये प्रशासकों को देखें। पहले प्रशासक सत्य पाल मलिक (Sh. Satya Pal Malik), दूसरे जी. सी. मुर्मू  (G. C. Murmu) और अब तीसरे मनोज सिन्हा (Manoj Sinha)।

सत्य पाल मलिक (Rajypal;  23 August 2018 – 05 August, 2019)

सत्य पाल मलिक, की उपलब्धियों पर नज़र डाली जाय तो एक राजनीतिज्ञ से अधिक शुरू से ही वे एक संयोजक के तौर पर देखे गए। अपनी शांत और विनयशील स्वभाव के कारण  भी चर्चा में रहे। क्रिकेट की भाषा में कहें तो, इन्हें जम्मू नाइट वाचमैन के तौर पर भेजा गया। ध्यान रहे अगस्त 2018 में स्थानीय राजनीति में महबूबा और अब्दुल्ला का बोलबाला था और उलूल-जुलूल बयानों के बीच पाकिस्तानी झंडों का कश्मीर की सड़कों पर लहराया जाना आम बात हो चली थी। इसी बीच सभी को चौंकाते हुए महज़ एक साल में ३७० का हटाया जाने के लिए तत्कालीन राज्यपाल का केंद्रीय राजनीति और रणनीति के पक्ष में होने के लिए राज्यपाल के रूप में मलिक के संयोजक के रूप में योगदान को महत्वपूर्ण बनाता है। मलिक अभी गोवा के राज्यपाल हैं।

जी. सी. मुर्मू (LG;  05 August 2019 – 07 August, 2020)

जी. सी. मुर्मू, की जम्मू व कश्मीर में पारी की शुरुआत कुछ शांत नहीं थी। वास्तव में भाजपा जितनी स्थानीय पार्टियों से जो विरोध कि आशा कर रही थी उतना विरोध हुआ नहीं या यों कहें की इन विरोधों के मद्देनज़र पहले ही तैयारी कर ली गयी थी। इन तैयारियों बीच अगस्त 19 से अगस्त 20 तक के अपने 1 साल के कार्यकाल में मुर्मू ने केंद्रीय नितियों को लागू करने में और कश्मीरी जनता में केंद्र की छवि को सुधारने के साथ साथ जनहित योजनाओं को लागू करने पर ज़ोर दिया।  इसका फ़ायदा जी. सी. मुर्मू को CAG के पद के रूप में मिला।

मनोज सिन्हा, (LG;  07 August 2019 – present)

मनोज सिन्हा, अब तीन साल में तीसरे चेहरे हैं जो भाजपा और RSS की जम्मू व कश्मीर को लेकर राजनैतिक समझ आगे बढ़ाएँगे। UP में लम्बे राजनैतिक अनुभव के साथ राज भवन के रवाना किए गए सिन्हा, गत वर्ष अपने बयानों के लिए काफ़ी चर्चा में रहे। हिन्दुवादी छवि के लिए जाने जाते है मनोज सिन्हा जातिगत समीकरणों के नज़रिए से भी भाजपा के UP में चुनौती बन सकते थे।

नए परिदृश्य में आती चुनौतियों के ख़िलाफ़ मोर्चा लेने की कला में सिन्हा की कुशलता ही अब उनके राजनैतिक भविष्य को निर्धारित करेगी।

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