कोरोना संकट अभी भी जारी है हालांकि देश में कोरोना के मामलों में लगातार कमी देखी जा रही है। हाल ही में जारी की गई एक अहम रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में कोविड-19 महामारी 17 सितंबर को अपने पीक पर थी। सरकार की तरफ से बनाई गई विशेषज्ञों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2021 के आखिर तक देश में कुल केसों की संख्या 1 करोड 6 लाख तक पहुंच सकती है। और खास बात ये कि उस वक्त देश में कोरोना की रफ्तार ना के बराबर होगी। इस वक्त देश में 75 लाख के पास कोरोना के मामलों की संख्या आ चुकी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अभी 26 लाख और केस आ सकते हैं। कोरोना को लेकर फैक्ट्स सर्विलांस के लिए साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने इस पैनल का गठन किया था। इस कमेटी में देश के नामी साइंटिफिक ऑर्गेनाइजेशन के लोग शामिल हैं। जिनमें IIT, बेंगलुरु, ISI कोलकाता और CMC वेल्लोर के साइंस्टिस्ट्स शामिल रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी 2021 तक देश में ‘न्यूनतम सक्रिय संक्रमण’ के साथ महामारी को कंट्रोल करने की संभावना है। ये पूरी रिपोर्ट एक गणितीय संरचना पर आधारित है। वहीं इस रिपोर्ट में साफ साफ जोड़ा गया है कि इस बीच अगर देश में कोविड गाइडलाइन्स को लेकर लापरवाही बरती गई तो ये अनुमान गलत साबित होंगे।
वहीं कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की तीस फीसदी आबादी में कोरोना को लेकर एंटीबॉडी मिल सकती है। अगस्त में ये आंकड़ा 14 फीसदी था। वहीं आखिर में सकल मृत्यु-दर कुल संक्रमण का 0.4 फीसदी रहने की संभावना जताई जा रही है।
इसके अलावा कमेटी ने लॉकडाउन लगाने के फायदों को लेकर भी रिसर्च किया है। कमेटी का दावा है कि अगर देश में लॉकडाउन ना लगाया गया होता तो भारत में कोरोना ने कहर ढा दिया होता। सिर्फ जून 2020 तक ही 1.4 करोड़ से ज्यादा मामले आ गए होते और जून में ही कोरोना पीक पर पहुंच जाता। वहीं रिपोर्ट के दावे को मानें तो लॉकडाउन ना लगने की स्थिति में देश में मरने वालों की संख्या 6 लाख से भी ज्यादा पहुंच जाती है। अभी के आंकड़ों की बात करें तो देश में अभी तक 1.14 लाख लोगों की कोरोना से मौत हुई है।