कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है। किसान अपने शांतिपूर्ण आंदोलन के जरिए सरकार लगतार इन नए बने कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि अगर सरकार हमारी मांगों को स्वीकार करती है तो हम उनसे बात करने के लिए तैयार है। वहीं दूसरी तरफ अब सरकार ने यह साफ कह दिया है कि कृषि कानून जो बन गया है उसे वापस नहीं लिया जा सकता, लेकिन संशोधन संभव है।
आपको बता दें कि कई राज्यों के किसान मिलकर तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स, एक्ट, 2020, द फार्मर्स एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। साथ ही आपको ये भी बता दें कि गाजियाबाद में किसानों ने ट्रैक्टर से सर्विस लेन की बैरिकेडिंग हटाई ली है। और इससे पहले किसानों ने यूपी गेट पर एलिवेटेड रोड की तरफ से आने वाले रास्ते पर दो दिन पहले ही बैरिकेडिंग हटा दी थी।
वहीं इस मामले पर अब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव श्रवण सिंह पंढेर का कहना है कि इस परेशानी का हल कमेटी बनाना नहीं है। और तोमर जी ने कल जो चिट्ठी लिखी है उसमें कुछ भी नया नहीं है। अगर उसमें कुछ बदलाव होता तो हम इस पर जरूर विचार करते। इसके साथ ही किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के दयाल सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई गई कमेटी हमारे लिए कोई मायने नहीं रखती। हम उसपर विश्वास नहीं करते। अगर सरकार हमारी बात मानकर इन कानूनों को वापस ले लेती है तो हम ये धरना यहीं खत्म कर देंगे और अगर ऐसा नहीं होता तो हम ये आंदोलन ऐसे ही जारी रखेंगे।
बता दें कि किसानों को ये प्रदर्शन करते हुए आज 23वां दिन है. इस बीच बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।