Written By : Amisha Gupta
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मुद्दे पर एक बार फिर पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।
कोर्ट ने इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए पंजाब सरकार की निष्क्रियता पर चिंता जताई और राज्य सरकार से तुरंत कदम उठाने को कहा। साथ ही, कोर्ट ने इस मुद्दे पर किसानों द्वारा दाखिल की गई याचिका को सुनने से इनकार कर दिया, जिससे किसानों को कड़ा संदेश गया कि पराली जलाने की समस्या को हल करने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि उनकी भी है।सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की समस्या को लेकर पंजाब सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं अब भी बहुत अधिक हैं, जबकि उत्तर भारत में इसकी वजह से प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा तक पहुंच गया है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि सरकारें केवल बयानबाजी कर रही हैं, पर वास्तविक समाधान की दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रही हैं। कोर्ट ने पंजाब को चेतावनी दी कि अगर तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पराली जलाने को लेकर किसानों ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उन्होंने फसल अवशेषों को जलाने के लिए कुछ ढील देने की मांग की थी।
लेकिन कोर्ट ने किसानों की इस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया और स्पष्ट किया कि पराली जलाने की वजह से लाखों लोगों की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और पराली जलाने के बजाय इसके निपटान के वैकल्पिक तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।हर साल सर्दियों के मौसम में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाता है। इस प्रदूषण से वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर श्रेणी में पहुंच जाता है, जिससे सांस से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि होती है। इस बार भी प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक है, जिससे आम लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसानों को पराली जलाने के विकल्प दिए जाएं।
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मशीनें उपलब्ध कराने के कई दावे किए गए हैं, लेकिन इनका लाभ सीमित संख्या में किसानों तक ही पहुंच रहा है। सरकारें पराली न जलाने के प्रति जागरूकता फैलाने और उचित वित्तीय सहायता देने का प्रयास कर रही हैं, परंतु इसके बावजूद, जमीनी स्तर पर प्रभावी बदलाव नहीं हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य सरकारें केंद्र के साथ मिलकर ऐसी योजनाएं बनाएं जिससे किसानों को पराली जलाने के बजाय पर्यावरण अनुकूल तरीकों का इस्तेमाल करने में मदद मिले।
किसान अक्सर यह तर्क देते हैं कि पराली को हटाना उनके लिए एक आर्थिक बोझ बन गया है।
खेतों की सफाई के लिए मशीनी उपकरण खरीदने या किराए पर लेने में किसानों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ता है। किसानों का कहना है कि वे पराली जलाने के बजाय अन्य विकल्प अपनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें सरकार की ओर से अधिक आर्थिक सहायता चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस समस्या का स्थायी समाधान आवश्यक है और इसके लिए कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने की जरूरत है। अदालत ने यह भी कहा कि किसानों के प्रति संवेदनशील रहते हुए सरकार को नीतिगत निर्णय लेने चाहिए, जिससे किसानों की स्थिति सुधर सके और पराली जलाने की समस्या का समाधान हो सके।