Written By : Amisha Gupta
देश के 10 राज्यों की 31 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 9 नवंबर को मतदान हुआ।
इन उपचुनावों का खास महत्व है, क्योंकि इन नतीजों से कई राज्यों में राजनीतिक समीकरण पर असर पड़ेगा और पार्टियों को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले जनता का मूड जानने का मौका मिलेगा। इन 31 सीटों में प्रमुख राज्य तेलंगाना, केरल, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और बिहार हैं।कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने केरल के वायनाड में प्रचार किया, जहां पार्टी ने अपना मजबूत समर्थन बनाए रखा है। वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी थे, जो हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी को लेकर चर्चा में रहे हैं। प्रियंका की मौजूदगी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया और पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में मदद की। कांग्रेस यहां बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों से सीधे मुकाबले में है।
तेलंगाना में बीआरएस, बीजेपी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।
खासकर, तुंगतुरु और कोडंगल जैसी सीटों पर बीआरएस अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है, जबकि कांग्रेस और बीजेपी इसे चुनौती दे रही हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ में भी प्रमुख रूप से बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले ये उपचुनाव पार्टियों के लिए एक प्रकार का लिटमस टेस्ट साबित हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा और सपा के बीच कुछ सीटों पर सीधा मुकाबला है। स्थानीय मुद्दों, जैसे किसानों की समस्याएं और क्षेत्रीय विकास, चुनाव में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। बिहार में भी आरजेडी-जेडीयू गठबंधन और भाजपा के बीच टकराव देखने को मिल रहा है।
मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की अच्छी-खासी भीड़ देखी गई।
अधिकांश राज्यों में शांतिपूर्ण मतदान हुआ और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। मतदाता इस चुनाव को लेकर उत्साहित दिखाई दिए, और कई मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें लगी रहीं। इस उपचुनाव के नतीजे यह संकेत देंगे कि राज्यों में पार्टी की स्थिति कैसी है और किन मुद्दों पर जनता का झुकाव है। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इन नतीजों का राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर पड़ सकता है। 10 राज्यों की 31 सीटों पर हुए उपचुनाव में विभिन्न पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंकी है। नतीजे आने वाले दिनों में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेंगे।