नबीला शगुफी की रिपोर्ट
केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों को लेकर लगभग 20 करोड़ कर्मचारियों ने दो दिन भारत बंद का आह्वान किया। भारत बंद को लेकर देश में जगह-जगह से हिंसा की खबरें आ रही हैं। पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे लाइन को ब्लॉक कर दिया है वहीं, ओडिशा में लोग सड़कों पर उतर आए हैं और टायर जलाए दिए। खबरों के मुताबिक इस हड़ताल में दूरसंचार, बैंकिंग, कोयला, शिक्षा, इस्पात, बिजली, बीमा और परिवहन क्षेत्र के लोग शामिल हो सकते हैं। पिछले तीन साल से भारतीय श्रम कॉन्फेंस का आयोजन नहीं किया गया है। एटक की महासचिव अमरजीत कौर भी कहना है कि सरकार रोजगार देने में असफल हो रही है और यूनियंस की मांग को नजरअंदाज कर रही है।
इस हड़ताल में इंटक, सेवा, एचएमएस, सीटू, एआईसीसीटीयू, एटक, टीयूसीसी, एआईयूटीयूसी, एलपीएफ, और यूटीयूसी शामिल हो रहे हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी समर्थित भारतीय मजदूर संघ ने हड़ताल से बाहर रहने का फैसला किया है। ट्रेड यूनियन हड़ताल के दौरान बैंक, बीमा, डाक, परिवहन, बाजार, टेलीकॉम, रेलवे, पोस्टल, मेडिकल, खनन उद्योग तथा कुछ अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव देखने को मिलेगा। जिस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
श्रमिक संगठन का कहना है कि कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपए किए जाए। हर एक जरुरतमंद कर्मचारी को तीन हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए। सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए। टैक्सटाइल व पॉवरलूम कर्मचारियों के वेतनों व रेटों में बीस प्रतिशत की वृद्धि की जाए। ट्रांसपोर्ट, बिजली, बैंक, बीमा, शिक्षा, सेहत व सुरक्षा क्षेत्रों में राज्य सरकारें और केंद्र सरकार रेगुलर भर्ती करें। खबरों के मुताबिक हड़ताल को यूनियंस बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का सर्मथन मिला है।