लॉकडाउन अथवा पूर्णबन्दी कोरोना से प्रभावित रही बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा इस बार काफी हद तक पटरी पर लौट आई। बता दे पिछले साल की तुलना में इस बार बदरीनाथ धाम में मत्था टेकने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है। बताया जा रहा है की इस वर्ष 19 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के प्रकोप को देखते हुए चार माह तक तीर्थयात्रियों को बदरीनाथ धाम तक जाने की अनुमति नहीं दी गई।
बता दे 18 सितंबर से प्रतिदिन एक हजार तीर्थयात्रियों को धाम तक जाने की अनुमति दी गई, जिसके बाद पांच अक्तूबर से धाम जाने की सभी पाबंदी हटा ली गई और सभी तीर्थयात्रियों को धाम में जाने की छूट दे दे गई, जिसके बाद धाम में प्रतिदिन तीर्थयात्रियों का हुजूम उमड़ पड़ा।
बदरीनाथ धाम में पिछले वर्ष एक लाख 45 हजार श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीनाथ धाम के दर्शन किए थे, जबकि इस वर्ष एक लाख 94 हजार तीर्थयात्रियों ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किए। वर्ष 2020 में बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुल गए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण 22 जुलाई से तीर्थयात्रियों को धाम तक जाने की अनुमति दी गई।
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लॉकडाउन अथवा पूर्णबन्दी कोरोना से प्रभावित रही बदरीनाथ संक्रमण के कारण घोषित एसओपी के कारण बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा काफी प्रभावित रही। धाम के कपाट 19 मई को खुल गए थे, लेकिन शासन की ओर से सितंबर माह तक भी तीर्थयात्रियों की आवाजाही पर रोक लगाने से लोगों में आक्रोश रहा।
लॉकडाउन अथवा पूर्णबन्दी के बाद यात्रा खुलवाने के लिए सितंबर माह में बदरीनाथ धाम में आंदोलनों का दौर चला। धाम में तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों ने 20 दिनों तक धरना-प्रदर्शन किया, जिसके बाद 18 सितंबर से छूट मिलने के बाद एक हजार तीर्थयात्रियों को धाम के दर्शनों की अनुमति मिली।
बता दे इस दौरान भी तीर्थयात्रियों को भारी परेशानियों से गुजरना पड़ा। ऑनलाइन पंजीकरण के कारण कई तीर्थयात्रियों को बदरीनाथ धाम से करीब 15 किलोमीटर पहले पांडुकेश्वर से ही लौटना पड़ा।
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बताया जा रहा है की 5 अक्तूबर से तीर्थयात्रा में छूट मिलने के बाद यात्रियों की संख्या में इजाफा हो पाया। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि कोरोना महामारी के बावजूद इस वर्ष बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा बेहतर रही। उम्मीद है कि आगामी वर्ष यात्रा पूरी तरह से पटरी पर लौट आएगी।