उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का हर रंग निराला है। गंगा जमुनी रंग में रंगी यहां की सांस्कृतिक विरासत बरबस लोगों को अपनी ओर खींचती है।
ऐसा ही चिनहट ब्लाक के तकरोही के पास अमराई गांव का धनुष यज्ञ मेला भी है, जहां न केवल एकता और भाई चारे का रंग नजर आता है, बल्कि लक्ष्मण नगरी में श्रीराम जन्म से उनके विवाह तक के जीवंत मंचन का पूरे साल लोगों को इंतजार रहता है।
बता दे की नारायण दत्त शुक्ला के निर्देशन में गांव के युवा कलाकार मंचन करते हैं।
कठपुतली के माध्यम से सामाजिक सरोकारों के बारे में बताने का प्रयास भी इस मेले में किया जाता है।
हर साल हिंदी महीने के अगहन मास की सप्तमी से तीन दिनों का मेला लगता है। इस साल 10 से 15 दिसंबर तक धनुष यज्ञ मेला होगा।
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मेला कमेटी के अध्यक्ष दिलीप कुमार मिश्रा ने बताया कि धनुष यज्ञ व श्रीराम विवाह शोभायात्रा के साथ मेले का समापन होगा है। इस लिए इसे धनुष यज्ञ मेला कहा जाता है। इस बार मेले की 106वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी।
तीन दिनों तक श्रीराम जन्म से लेकर श्रीराम विवाह तक की लीलाओं का मंचन होगा। अंतिम दिन गाजेबाजे और भगवान के प्रतीकों के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मेला कमेटी के संरक्षक चंद्रशेखर त्रिवेदी व डा.एलबी मिश्रा के दिशा निर्देशन में यह मेला वर्षों से लग रहा है। मेले की खास बात यह है कि यहां पहले मुस्लिम समाज के लोग भी मंचन में किरदार निभाते थे। अब मेला के आयोजन में सहयोग के साथ ही कमेटी की गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। बख्शी का तालाब विधान सभा क्षेत्र के विधायक अविनाश त्रिवेदी सहित गांव के लोगों के सहयोग से मेला होगा।
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मेला कमेटी के मुख्य मेलों में शामिल इस धनुष यज्ञ मेले में सांस्कृतिक विभाग से कलाकार भी आते हैं। कलाकारों मेेें भी यहां आने का पूरे साल ब्रेसब्री से इंतजार रहता है। कोरोना संक्रमण से बचाव की गाइडलाइन के साथ यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।