महागठबन्धन (सपा-बसपा) को एक बड़ा झटका देखने को मिला जब सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी सपा उम्मीदवार तेज बहादुर यादव को चुनाव लड़ने से रोक दिया। आपको बता दें कि महागठबंधन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट के लिए शालिनी यादव को उमीदवार बनाया। लेकिन बाद में प्रत्याशी बदल कर बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को महागठबंधन में शामिल कर समाजवादी पार्टी ने शालिनी यादव को हटा कर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ तेज बहादुर यादव को मैदान में उतारा था।
रद्द करने की वजह :-
वाराणसी में लोकसभा चुनाव के सातवें चरण के तहत 19 मई को मतदान होना है, जिसको लेकर तेज बहादुर यादव ने 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था। जिसके बाद 1 मई को रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि 24 अप्रैल को अपने दाखिल दस्तावेज में तेज बहादुर ने कहा था कि उसे सीमा सुरक्षा बल से बर्खास्त किया गया था लेकिन 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर दाखिल में इस सूचना का जिक्र नहीं किया गया। जिसके बाद तेज बहादुर यादव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट का बयान :-
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने तेज बहादुर यादव के याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि “उनकी याचिकाओं में कोई मैरिट नहीं है।” आपको बता दें कि चुनाव आयोग के तरफ से राकेश द्विवेदी ने अपना पक्ष रखा और तेजबहादुर के तरफ से प्रशांत भूषण नज़र आये। इस दौरान राकेश द्विवेदी ने आरपी एक्ट सहित पुराने फैसलों का हवाला दिया जिसके बाद कोर्ट ने उनके द्वारा लगाए गए आरोपों को सही करार देते हुए तेज बहादुर की याचिका को सिरे से नकारते हुए खारिज कर दिया। अब ये देखने वाली बात होगी वाराणसी सीट से सपा किसको उमीदवार घोषित करती है।