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गलत समाचार प्रकाशित करने पर भाजपा के नेता अजीत शाश्वत चौबे ने जताई आपत्ति

8 सितंबर को पटना के बेली रोड पर ट्रैफिक पुलिस मामले में अख़बार द्वारा बिना तथ्यों को जाने भाजयुमो राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य एवं भागलपुर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी अर्जित शाश्वत चौबे के ऊपर खबर प्रकाशित किया।

जिसके जवाब में अर्जित शाश्वत चौबे ने प्रेस को अपना बयान देते हुए कहा कि ‘8 सितंबर को मैं अपनी बेटी को डॉक्टर के यहां ले जा रहा था। मेरे साथ मेरी मां और पत्नी भी थी। बेली रोड पर म्युजिअम के पास ट्रैफिक पुलिस गाड़ियों की जांच कर रही थी। यह देखकर मैंने अपनी गाड़ी को धीमा कर लिया। इसके बावजूद पुलिस वाले ने मेरे गाड़ी के शीशे पर धक्का मार कर रोकने को कहा जो कई मानवीय व्यवहार नहीं था। उस समय मैंने बेल्ट लगाया हुआ था और मैंने अपनी गाड़ी रोक दी और गाड़ी का कागज निकालकर उनके चेक करने का इंतजार कर रहा था।

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लेकिन 15 मिनट तक कोई भी पुलिसकर्मी मेरी गाड़ी का कागज जांचने नहीं आया। इस दौरान कुछ मीडिया कर्मी भी वहां उपस्थित थे। उन्होंने भी पुलिस वालों से जांच संबंधी काम करने को कहा। समय ज्यादा लग रहा था, जांच हो नहीं रही थी और हमें डॉक्टर के पास जाना था। इसलिए मेरी पत्नी पुलिस अधिकारियों से जल्दी जांच करने की बात कहने के लिए सीट बेल्ट खोलकर गाड़ी से उतरने लगी। तभी कुछ पुलिसकर्मी आए और उन्होंने कहा से आप लोगों को रोका किसने है? आप जाइए इसके बाद हम लोग वहां से रवाना हो गए।’

 


 

उन्होंने आगे कहा कि ‘इस संबंध में कई प्रमुख अखबारों ने बिना तथ्यों को जाने अपने अनुसार खबरें छाप दी। जिससे पाठकों में भ्रम होने और मेरे जानने वालों में मेरी छवि खराब होने की गुंजाइश है। जबकि यह सर्वज्ञात है कि हम लोग नियम कानून मानने वाले लोग हैं। नियम कानून मानने वाले नहीं रहते तो 15 मिनट तक वहां अपनी गाड़ी क्यों रोकते? इतनी देर गाड़ी रोकने के बाद उनको स्वतः जांच करनी चाहिए थी। अगर कोई त्रुटि थी तो चालान काटना था लेकिन, मेरे और मीडिया कर्मियों के बोले जाने के बावजूद कोई जांच नहीं की गई। हालांकि मैं सारे कागज लेकर तैयार था।’

किसी ने वहां वीआईपी होने की बात की, तो मैंने उससे कहा कोई वीआईपी नहीं है। मंत्री,संत्री और हम आप सभी समान हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीआईपी कल्चर को समाप्त कर सबको समान बना दिया है।

इसी के साथ उन्होंने आगे बताया  कि ‘एक अख़बार ने ये छापा की हमने सीट बेल्ट नहीं लगाया। लेकिन, उन्होंने जो तस्वीर लगायी थी उसमें हमने सीट बेल्ट लगाया था। एक जिम्मेदार अख़बार इतनी गैर जिम्मदारी वाली खबरे छापते है तो इससे मेरी नहीं, उस अख़बार वालो की छवि लोगो के सामने ख़राब होती है।

वहीं एक अन्य खबर वाले ने लिखा था की मंत्री और उनके परिजनो ने धौंस दिखाकर गाड़ी को भगा ले गए। तथ्यों को जाने बिना बेसिर पैर की ऐसी गलत खबर देना बहुत गलत है। मैं स्वयं 15 मिनट तक वहां रुक कर अपनी गाड़ी के कागजात की जांच कराने का इंतजार करता रहा।

मैं कहना चाहता हूं कि इस खबर को कुछ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों ने भी प्रसारित किया है। अगर सच्चाई और सत्य देखना हो तो उसमें देखा जा सकता है। मैंने सीट बेल्ट लगाया था और पुलिसकर्मी के रोकने पर 15 मिनट तक अपनी गाड़ी रोककर कागज के जांच का इंतजार कर रहा था तथा पुलिसकर्मियों के कहने पर ही वहां से रवाना हुआ।’

Written by – Ashish kumar

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