सेंट्रल डेस्क प्राची जैन: दिल्ली के अनाज मंडी इलाके में रविवार सुबह लगी भीषण आग ने कई जिंदगियां तबाह कर दी, कई परिवारों को उजाड़ दिया। दूसरे राज्यों से आकर मजदूरी करने वाले लोगों के घर तहस नहस हो गए। आग की लपटों में धुएं के बीच आखिरी सांस के लिए तड़पते हुए अंदर फंसे लोगों ने जो किया उसे जानकर आप भी रो पड़ेंगे। अंदर फंसे लोगों में से कुछ ऐसे थे जिन्होंने मौत को सामने देख अपने परिवार को एक आखिरी कॉल कर अलविदा कहना जरूरी समझा… कुछ लोग जान बचाने के लिए अंत कर भागने और निकलने की कोशिश करते रहे, जबकि कुछ तो जहां थे वहीं पड़े रह गए…।
आगे पढ़ें मौत का तांडव देख किसने क्या किया-
साथी मर गए हैं, मैं भी मरने वाला हूं…बच्चों का ध्यान रखना
इमारत में जब पूरी तरह से आग फैल चुकी थी तब मौत को सामने देखकर अंदर फंसे शाकिर हुसैन ने अपनी गर्भवती पत्नी को फोन लगाया। उन्होंने पत्नी से कहा कि इमारत में आग लग गई है। उनके कई साथी मर चुके हैं। उनके कमरे में दो दोस्त भी मर गए। वे ठीक से सांस नहीं ले पा रहे हैं और अब वे जिंदा नहीं रह पाएंगे। बच्चों का ध्यान रखना। इसके बाद फोन कट हो गया। उनकी पत्नी इसी महीने के आखिर में वे मां बनने वाली हैं। रात से ही उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है।
चीखते-चिल्लाते हुए बेहोश बर्न विभाग में खुली आंख
लोकनायक अस्पताल के बर्न विभाग में भर्ती मुस्तफा भी उसी इमारत में सो रहे थे, जिसमें रविवार सुबह आग लगी थी। सोते-सोते धुएं की वजह से उनकी सांस फूलने लगी थी और वे घबराहट में नींद से जागे। उठकर बैठे तो सामने आग की लपटें दिखाई दीं। वे खुद को बचाने के लिए हड़बड़ाकर उठे और इधर-उधर भागने लगे, लेकिन तब तक आग काफी बढ़ चुकी थी। तीसरी मंजिल से नीचे उतरने के लिए वे बाहर निकले, लेकिन सीढ़ियों तक पहुंच नहीं पाए और बेहोश होकर गिर गए। इसके बाद उन्हें कुछ भी याद नहीं है। रविवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे उन्हें होश आया तो वे बर्न विभाग में भर्ती थे। आसपास के बिस्तरों पर पहचान के साथियों को देखकर वे घबरा गए। डॉक्टरों के अनुसार, मुस्तफा का करीब 10 फीसदी शरीर आग में झुलस गया है।
न्यू अनाज मंडी की आग में एक परिवार ऐसा भी सामने आया जिसके तीन में से दो बेटे लापता हैं। दिनभर अस्पतालों में चक्कर लगाने के बाद भी देर रात तक वाजिद को अपने लापता भाइयों का सुराग नहीं लग सका। वाजिद पुलिसकर्मियों के साथ लेडी हार्डिंग अस्पताल में पहुंचा। यहां शवगृह में शवों की पहचान करते हुए उन्हें 17 वर्षीय मोहम्मद अताबुल मिला, जो उनके चाचा का बेटा है। यह देखकर वाजिद बेहोश होकर गिर पड़ा। आनन फानन में उसे आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया, लेकिन कुछ देर बाद वाजिद को जब होश आया तो वह चीखने-चिल्लाने लगे। अपने दोनों भाइयों की पड़ताल में वे देर रात तक लोकनायक अस्पताल के शवगृह में रहे, लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली।
तीन महीने बाद शादी थी, अब मातम
घटना में जान गंवाने वाले बबलू की तीन महीने बाद शादी होने वाली थी। घर पर शादी की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन अब मातम पसर गया है। बबलू का शव उसके दोस्त अलाउद्दीन को लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में दोपहर बाद मिला। अलाउद्दीन ने बताया कि बिहार के मुजफ्फरपुर में तीन महीने बाद बबलू की शादी होनी थी। अलाउद्दीन ने इस घटना में बबलू के अलावा अपने दोस्त राजू और तौफीक को भी खो दिया है। ब्यूरो
जो जहां था वहीं बैठा या लेटा रह गया, कुछ लोग कोनों में बेहोश मिले
दमकल कर्मियों ने जब अंदर फंसे लोगों को ढूंढने का प्रयास किया तो उनके होश उड़ गए। जो जहां था वहीं बैठा या लेटा हुआ रह गया। कुछ लोग टेबल व कोनों में बेहोश मिले। दमकल कर्मियों का कहना था कि धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड की चपेट में आकर पता भी नहीं चलता कि कब बेहोश हुए और उसी में दम घुटने से मौत हो गई। अंदर का तापमान बहुत ज्यादा था। किसी तरह जान पर खेलकर दमकल कर्मी अंदर घुसे। अंदर कुछ लोगों की सांस चल रही थी। वहां से दमकल कर्मियों ने जान पर
खेलकर झुलसे लोगों को कंधे पर डालकर नीचे उतारा। इसके बाद एंबुलेंस व अन्य वाहनों की मदद से अस्पताल पहुंचाया।