राममंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि परिसर में मार्ग पर पड़े रहे जर्जर भवनों व मंदिरों के ध्वस्तीकरण की भी अब प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
राम जन्मभूमि परिसर स्थित करीब 250 वर्ष पुराने सीता रसोई मंदिर को ध्वस्त करने का काम शुरू कर दिया गया है।
एलएंडटी की टीमें जेसीबी व अन्य मशीनों के जरिए सबसे पहले सीता रसोई मंदिर को ध्वस्त करने में जुटी हुई हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने किया था आगाह
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पहले ही बता दिया था कि राममंदिर परिसर में मौजूद करीब एक दर्जन ऐसे प्राचीन मंदिरों को ध्वस्त किया जाएगा। जिनमें करीब तीन दशक से पूजा-अर्चना बंद है।
इसी क्रम में गुरुवार दोपहर से प्राचीन सीता रसोई मंदिर को ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। माना जा रहा है कि देर शाम तक मंदिर को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया जाएगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पहले ही बता चुके हैं इन मंदिरों को ध्वस्त किया जाएगा लेकिन इनमें विराजमान गर्भगृह को मंदिर परिसर में ही सुरक्षित रखा जाएगा।
जब राममंदिर का निर्माण हो जाएगा तो इन सभी मंदिरों के गर्भगृह को उचित स्थान पर स्थापित कर इनकी पूजा-अर्चना शुरू कर दिया जाएगा।
श्रीरामजन्मभूमि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र ने बताया कि रामजन्मभूमि परिसर में सीतारसोई, कोहबर भवन, आनंद भवन, साक्षी गोपाल सहित करीब एक दर्जन मंदिर हैं, जिन्हें भी गिराया जाएगा।
एलएंडटी ने काम की रफ़्तार बढ़ायी
एलएंडटी की बड़ी-बड़ी मशीनें भी श्रीरामजन्मभूमि परिसर पहुंचने लगी हैं।
ट्रस्ट ने तय किया गया कि तीन से साढ़े तीन साल के भीतर राममंदिर का निर्माण कार्य पूरा कर लेना है।
जिसके लिए एलएंडटी ने तैयारी पूरी कर ली है, इंतजार सिर्फ नींव खुदाई का है।
इससे पूर्व निर्माण कार्य में प्रयुक्त होने वाली एलएंडटी की बड़ी-बड़ी मशीनें भी श्रीरामजन्मभूमि परिसर पहुंचने लगी है।
पोकलैंड, होम कंटेनर के बाद गुरूवार को फ्यूल टैंक व मिक्सर मशीन भी श्रीरामजन्मभूमि परिसर पहुंच गयी है।
बताया जा रहा है कि बहुत जल्द ही एलएंडटी के करीब सौ मजदूर भी अयोध्या पहुंच कर काम में जुट जाएंगे।”
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