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Jitendra Singh: स्वच्छ ऊर्जा का दृष्टिकोण हैं ‘पंचामृत’

केंद्रीय विज्ञान और प्रोद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने शुक्रवार को गोवा में आयोजित संयुक्त 8वीं मिशन नवाचार मंत्रिस्तरीय (एमआई-8) और 14वीं स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम-14) की अंतर्राष्ट्रीय मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित किया। इस बैठक में दुनिया के लगभग 30 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने विदेशों में रहे भारतीय प्रवासी वैज्ञानिकों से भारत के साथ जुड़ने का अनुरोध किया।

डॉ. जितेन्द्र सिंह (Jitendra Singh) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अभी हाल ही में शुरू किया गया वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) फेलोशिप कार्यक्रम इस दिशा में बढ़ाया एक कदम है। यह फेलोशिप भारतीय मूल के उन उत्कृष्ट वैज्ञानिकों/प्रौद्योगिकीविदों (एनआरआई/ओसीआई/पीआईओ) को प्रदान की जाएगी जो अपने-अपने देशों में अनुसंधान गतिविधियों में कार्यरत हैं। 75 चयनित अध्येताओं को अन्य क्षेत्रों के अलावा क्वांटम प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और सामग्री विज्ञान सहित 18 चिन्हित ज्ञान क्षेत्रों में कार्य करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

उन्होंने (Jitendra Singh) इस बात को रेखांकित किया कि आज दुनिया पहले की तुलना में कहीं अधिक परस्पर जुड़ी हुई एवं परस्पर निर्भर है इसलिए लचीलापन पैदा करने के लिए वैश्विक समाधानों को विकसित करने के उद्देश्य से विभिन्न देशों में अधिक से अधिक सहयोग होना चाहिए ताकि उन्हें अधिक देशों के लिए अनुकूलित करके किफायती बनाया जा सके। जितेंद्र सिंह ने कहा कि मिशन नवाचार मंत्रिस्तरीय (एमआई) और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2015 में सीओपी21 में घोषणा की गई थी, जब विश्व के नेता जलवायु परिवर्तन से निपटने के महत्वाकांक्षी प्रयास करने के लिए पेरिस में एक मंच पर साथ आए थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने प्रतिनिधियों को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वच्छ ऊर्जा के प्रति लगातार ध्यान देना उनके दृष्टिकोण में परिलक्षित होता है, जिसे सीओपी26 के दौरान ‘पंचामृत’ के रूप में रेखांकित किया गया है जिसमें जलवायु कार्रवाई के प्रति भारत के वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता को अर्जित करना; वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना; 2030 तक कार्बन-डाई-आक्साइड (CO2) उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कमी लाना; 2030 तक कार्बन की तीव्रता को 45 प्रतिशत से कम करना; वर्ष 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करने जैसे लक्ष्य शामिल हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने कहा कि हमारी मौजूदा पहल और प्रयास स्वच्छ ऊर्जा को तेज  गति से चलाने और वैश्विक तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाने के गवाह हैं और इनसे वैश्विक तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि आइए हम वैश्विक स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र में नवाचारों का लाभ उठाने और आवश्यक परिवर्तन करने का संकल्प लें ताकि हम एक स्वच्छ और हरित ग्रह में स्थायी और रहने योग्य भविष्य सुनिश्चित कर सकें।

डॉ. जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने कहा कि भारत आजादी के 75 साल का समारोह मना रहा है और इस विशेष समय (अमृतकाल) में, एक ही स्थान पर एमआई, सीईएम और जी20 ऊर्जा की मंत्रिस्तरीय वार्षिक बैठक की मेजबानी महत्वपूर्ण होगी और ऊर्जा सुरक्षा तथा पहुंच सुनिश्चित करते हुए हमारी महत्वाकांक्षी स्वच्छ ऊर्जा प्रतिबद्धताओं तक पहुंचने के लिए बढ़ाया गया कदम बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संसद में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक, 2023 को पेश करने की मंजूरी दे दी है। पांच वर्षों के लिए इसकी कुल अनुमानित लागत 50,000 करोड़ रुपये है और इससे भारत में स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और मिशन नवाचार को और बढ़ावा मिलेगा।

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