केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से एक बड़ा दाव खेला है. दरअसल मोदी सरकार ने फैसला लिया है कि वह सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देगी. मोदी कैबिनेट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने की मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही आरक्षण का कोटा अब 50 से बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगा.
इसके लिए संविधान संशोधन बिल लाया जाएगा. नए फैसले के बाद जाट, गुज्जरों, मराठों और अन्य सवर्ण जातियों को भी आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा बशर्ते वो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में आते हों. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में मंगलवार को मोदी सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी बिल पेश कर सकती है.
क्या इतना आसान है आरक्षण देना ?
संविधान के अनुसार, आरक्षण का पैमाना सामाजिक असमानता है और किसी की आय और संपत्ति के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाता है. संविधान के अनुच्छेद 16(4) के अनुसार, आरक्षण किसी समूह को दिया जाता है और किसी व्यक्ति को नहीं. इस आधार पर पहले भी सुप्रीम कोर्ट कई बार आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के फैसलों पर रोक लगा चुका है. अपने फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन है. तो क्या इसके बाद भी मोदी सरकार सवर्णो को आरक्षण देने में कामयाब होती है।