केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत के दृष्टिकोण से इतिहास को दोबारा लिखने की जरूरत है. शाह ने कहा कि अगर वीर सावरकर ना होते तो 1857 की क्रांति इतिहास ना बनती और उसे भी हम अंग्रेजों की दृष्टि से ही देखते. शाह गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.
बता दें, अमित शाह का ये बयान उस वक्त आया है, जब दो दिन पहले ही बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा कि पार्टी केंद्र सरकार से वीडी सावरकर को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की मांग करेगी.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा-वीर सावरकर ने ही 1857 की क्रांति को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम देने का काम किया वरना आज भी हमारे बच्चे उसे विद्रोह के नाम से जानते.
इस सभागार में कई विद्धान बैठे हैं. मेरा सबसे आग्रह है कि भारतीय इतिहास का भारतीय दृष्टिकोण से पुर्नलेखन बहुत जरूरी है. लेकिन इसके लिए हमें किसी को दोष देने की जरूरत नहीं है. अगर किसी का दोष है तो हमारा खुद का दोष है. इतने बड़े-बड़े साम्राज्य रहे हैं, लेकिन हम उनके संदर्भ ग्रंथ नहीं बना पाए. सिख गुरुओं के बलिदान को भी हम इतिहास में नहीं संजो पाए. महाराणा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष किया, लेकिन उनके लंबे संघर्ष की गाथा को भी हमने संदर्भग्रंथ में परिवर्तित नहीं किया.
WRITTEN BY : HEETA RAINA
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