भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुडुचेरी में बुधवार को 25 वें युवा महोत्सव का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्धाटन किया।वहीं युवा महोत्सव का शुभारंभ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत के पास दो असीम ताकत हैं।एक डेमाग्राफी और दूसरी डेमोक्रेसी, जिस देश के पास जितनी युवा शक्ति होती है,उसकी क्षमताओं को उतना ही व्यापक माना जाता है।भारत के पास ये दोनों ताकत हैें।
आज भारत के युवा में श्रम का सामर्थ्य है-पीएम नरेंद्र मोदी
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भारत के युवा में अगर टेक्नालॉजी का चार्म है,तो लोकतंत्र की चेतना भी है।अगर आज भारत के युवा में श्रम का सामर्थ्य है,तो भविष्य की स्पष्टता भी है,तो इसीलिए, भारत आज जो कहता है,दुनिया उसे आने वाले कल की आवाज़ मानती है।भारत अपने युवाओं को विकास के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों की ताकत मानता है।आज भारत और दुनिया के भविष्य का निर्माण हो रहा है।2022 भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।ये नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती भी है।आगे पीएम ने कहा कि आज भारत का युवा वैश्विक समृद्धि के कोड लिख रहा है।पूरी दुनिया के यूनिकॉर्न इकोसिस्टम में भारतीय युवाओं का जलवा है।भारत के पास आज 50 हजारर से अधिक स्टार्टअप्स का मजबूत इकोसिस्टम है।
महान स्वामी विवेकानंद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं-पीएम नरेंद्र मोदी
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि हम इसी वर्ष श्री अरबिंदो की 150 वीं जयंती मना रहे हैं और इस साल महाकवि सुब्रमण्य भारती जी की भी 100वीं पुण्य तिथि है।इन दोनों मनीषियों का पुडुचेरी से खास रिश्ता रहा है और ये दोनों एक दूसरे की साहित्यिक और आध्यात्मिक यात्रा के साझीदार रहे हैं।गौरतलब है कि पीएम मोदी ने पहले अपने ट्वीट में कहा था कि मैं महान स्वामी विवेकानंद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।उनका जीवन राष्ट्रीय उत्थान के लिए समर्पित था। उन्होंने कई युवाओं को राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया है।आइये हम देश के लिए उनके सपनों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करते रहें।
महोत्सव का उद्देश्य है एकजुट करना
आपको बता दें कि पुडुचेरी युवा महोत्सव में भारत के हर जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले युवा भाग लेंगे,इस राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्देश्य युवा नागरिकों को राष्ट्र-निर्माण की दिशा में प्रेरित करना है और प्रज्वलित करना,एकजुट करना और सक्रिय करना है,जिससे हमारे जनसांख्यिकीय ताकत की वास्तविक क्षमता को उजागर किया जा सके।
विवेकानंद ने 25 साल की उम्र में लिया था संन्यास
आपको बता दें कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था।इनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था और वह वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे।वहीं छोटी उम्र से ही उन्हें अध्यात्म में रुचि हो गई थी और वह पढ़ाई में अच्छे होने के बावजूद जब वह 25 साल के हुए तो अपने गुरु से प्रभावित होकर नरेंद्रनाथ ने सांसारिक मोह माया त्याग दी और संन्यासी बन गए थे।जिसके बाद उनका नाम विवेकानंद पड़ गया था।