शिवहर के हालातों की कहानी समाजसेवी एवं क्रांतिकारी मुकुंद प्रकाश मिश्राकी की जुबानी शिवहर में बाढ़ का मुख्य कारण बेलवा में अब तक डैम का निर्माण न हो पाना है साथ ही साथ बागमती पुरानी धारा का उराही भी आवश्यक है। लोग कहते हैं कम्पनी ने अधूरा काम छोड़ दिया। आख़िरकार सवाल यह है कि कम्पनी ने काम छोड़ा क्यों ?
एन.एच 104 तथा बेलवा डैम निर्माण कार्य अधूरा होने का एक ही कारण और कारक नजर आता है। डुब्बा पुल निर्माण कार्य में आने वाले समस्या को याद कीजिए… लेकिन बाद में प्रशासन के तत्परता के कारण काम हुआ। सवाल यह भी है जब हर वर्ष बाढ़ आने से लोगों को परेशानी का सामना करना ही होता है तो आखिर बागमती परियोजना का क्या काम ?
हालांकि एन.एच 104 और बेलवा के निर्माण न होने का दोषी स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि और वर्तमान व्यवस्था समान रूप से है कम से कम आम लोग तो यही मानते हैं । अगर बेलवा डैम का निर्माण करवा पाने मे अगर जनप्रतिनिधि और प्रशासन सक्षम नही है तो यह कहना अतिश्योक्ति नही होगी कि 8 महीना रख-रखाव के नाम पर, 2 महीना बचाव के नाम पर और 2 महीना राहत के नाम पर महालूट का षडयंत्र हो रहा है। बाढ़ के कारण हर वर्ष पूरे बिहार में सैकड़ों लोग मरते हैं हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद होता है मृतक के परिजनों तथा किसानों को कुछ मुआवजा देकर तथाकथित शासक जिम्मेदारी पूरा कर लेते है।
यह गंभीर विषय है……..
किसी के पूरे जिन्दगी भर का कमाई बाढ़ में बह जाता है तो किसी के पूरे जिन्दगी भर के मेहनत से बनाया घर टूट जाता। किसी के कलेजा का टूकड़ा दुनिया को अलविदा कह देता है। लेकिन इससे किसे फर्क पड़ता हैं और हमलोगों को किसी से उम्मीद भी नही रखना चाहिए। जिसे हम चुनाव में चुनते है वो इस भीषण बाढ़ में हमारे बीच न रह कर दिल्ली के साफ सड़कों पर झाड़ू लगाते दिखते हैं और जब सदन में समस्या उठाने का समय आता है तो लगभग पूरा समय सरकार के महिमामंडन मे गुजर जाता है लेकिन यह होना भी जरूरी ही था।
लोग अब डाइरेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिससे पूरे देश के लोगों ने मिलकर जीत दिलाया को बुलाने और अपनी समस्या बताने की बात कर रहे है, लेकिन उनके पास आपके दर्द पर सहानुभूति भरा टूईट करने का भी वक्त नही है…।
बाढ़ के कारण सरकारी आंकड़ा में जिसे मौत कहा जाता है उसे हत्या भी कहा जा सकता है। हम क्यों न कहें लोग सुस्त और भष्ट्र व्यवस्था के कारण मर रहें हैं। खैर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर मेरी और आपकी खामोशी अपराधिक लगती है। हालांकि हम और आप तब भी चुप थे जब जब एन.एच के अन्तर्गत शिवहर शहर में बना पीसीसी सड़क या अभी हाल ही में बना शिवहर मुजफ्फरपुर पथ बनने के कुछ दिन बाद ही टूट रहा था। काश बेलवा डैम बन गया होता तो अब 144 लगाना न पड़ता।
शिवहर से मोहम्मद हसनैन