मीडिया रिपोर्ट्स की खबर के अनुसार माना जा रहा था कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे बड़े और कीमती द्वीप ग्रीनलैंड को खरीदना चाहते थे। वो इस क्षेत्र में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधन, जैसे कोयला तांबा जस्ता और लौह- अयस्क की वजह से इस द्वीप को खरीदने की इच्छा रखते थे। लेकिन ग्रीनलैंड के नेता ने इसे बेचने से इंकार करके राष्ट्रपति ट्रंप की इच्छाओ के मंसूबे पर पानी ही फेर दिया है।और बताया जा रहा है दुनिया के सबसे बड़े द्वीप ग्रीनलैंड को बेचने से डेनमार्क की प्रधानमंत्री फ्रेडिकसेन के इंकार पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी डेनमार्क यात्रा ही रद कर दी। आपको बता दे कि ग्रीनलैंड दुनिया का बेहद खूबसूरत द्वीप है।
अगस्त महीने में यंहा का मौसम बेहद सुहावना नज़र आता है। ग्रीन लैंड की जनसंख्या सिर्फ 56 हज़ार है। पिछले कुछ सालो में अमेरिकियों और डेनमार्क के लोगो ने ग्रीनलैंड और उसकी राजधानी नुक में ज्यादा पैसा नहीं लगाया है।
वंहा की आर्थिक सिथति भी बहुत अच्छी नहीं है। हर दिन यंहा एक जगह पर कुछ लोग इकट्ठे होकर सामान बेचते हैं, जिससे कुछ नक़दी इकट्ठा होती है। यहां कपड़े, स्कूलबैग, केक, सूखी मछली और रेंडियर के सींग बिकते हैं। ग्रीनलैंड के सांसद आजा चेमन्टिज़ लार्सेन भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप की बात को ख़ारिज किया है। उन्होंने ट्विटर पर इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को ग्रीनलैंड ख़रीदने की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने इसे खरीदने के लिए ऐसा सोचा, इसी के लिए उनको धन्यवाद है। आपको बता दे कि ग्रीनलैंड आर्कटिक और अटलांटिक महासागर के बीच कनाडा आर्कटिक द्वीपसमूह के पूर्व में स्थित है। हालांकि भौगोलिक रूप से यह उत्तर अमेरिका महाद्वीप का एक हिस्सा है, लेकिन 18 वीं सदी के बाद से यूरोप (खास तौर पर डेनमार्क) से राजनीतिक रूप से जुड़ा हुआ है। 1979 में डेनमार्क ने ग्रीनलैंड को स्वशासन प्रदान किया और 2008 में ग्रीनलैंड ने स्थानीय सरकार को अधिक दक्षता हस्तांतरण के पक्ष में मत दिया।
WRITTEN BY- RISHU TOMAR