इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन) के वैज्ञानिक लगातार 6 दिन बाद भी चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर मौजूद चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क बनाने में लगे हुए हैं. हालांकि, चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की लैंडिंग के बाद से अब तक 6 दिन बीत गए हैं. लेकिन उससे संपर्क नहीं हो पाया है. इसरो के वैज्ञानिकों का प्रयास रंग नहीं ला पा रहा है. इसके बावजूद इसरो, इसरो के वैज्ञानिकों और देश की जनता ने हौसला नहीं छोड़ा है. वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं कि संपर्क हो जाए और पूरा भारत देश प्रार्थना कर रहे कि वैज्ञानिक सफल हो जाए और उनकी मेहनत रंग लाए. अब देखना ये होगा कि लोगो की दुआ और वैज्ञानिकों की कोशिश कितनी सफल होती है.
”लेकिन अगर विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हुआ तो क्या होगा” ये बात हर देशवासि के ज़हन मे है.आइए, आपको बताते हैं कि अगर किसी भी तरह से इसरो के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं कर पाते हैं तो आगे वैज्ञानिक की क्या योजना होगी.
इसरो के विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि इसरो ने इस बात पर विचार करना शुरू कर दिया है कि अगर विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हुआ तो वे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का अपग्रेडेड यानी आधुनिक वर्जन को चंद्रयान-3 भेजा जायेगा. चंद्रयान-3 में जाने वाले लैंडर और रोवर में ज्यादा बेहतरीन सेंसर्स, ताकतवर कैमरे, अत्याधुनिक नियंत्रण प्रणाली और ज्यादा ताकतवर संचार प्रणाली लगाई जाएगी. सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि चंद्रयान-3 के सभी हिस्सों में बैकअप संचार प्रणाली भी लगाई जा सकता है ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी होने पर बैकअप संचार प्रणाली का उपयोग किया जा सके.
बता दे इसरो में चंद्रयान-3 के बारे में तैयारियों के लेकर कोई चर्चा नहीं है. लेकिन, यह स्पष्ट किया जा चुका है कि चंद्रयान-2 से मिले आंकड़ों के आधार पर ही चंद्रयान-3 मिशन पूरा किया जाएगा. चंद्रयान-3 की संभावित तारीख 2024 थी लेकिन अब लग रहा है कि इस मिशन में थो़ड़ा देर हो सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि इसरो दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियों से पेलोड्स बनाने के लिए कहे.
Wrtten By: Ayushi Garg
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