पिछले दस दिनों से देश की राजधानी में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन लगातार चल रहा है। दिल्ली के सभी बॉर्डर्स पर किसानों का प्रदर्शन चल रहा है और हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने डेरा डाल रखा है। उधर सरकार भी लगातार इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने के कोशिश कर रही है। आज विज्ञान भवन में पांचवीं बार सरकार और किसान नेताओं के वार्ता हुई। इस बैठक के दौरान अचानक किसान नेताओं ने चुप्पी साध ली। किसान नेता विज्ञान भवन में ही तख्ती लेकर बैठ गए। किसान नेताओं का कहना है कि अब सरकार से जवाब हां या नहीं में चाहिए। जबकि बैठक के कमरे से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल बाहर निकल गए। खबरों के मुताबिक, बैठक में ये निर्णय लिया गया है कि अगले 9 दिसंबर को एक बार फिर किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच फिर से इस मुद्दे को लेकर बैठक होगी।
वहीं बैठक के बाद विज्ञान भवन से बाहर आकर किसान नेताओं ने अपना रुख साफ भी कर दिया। उन्होंने जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने कहा है कि वो हमें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेंगे। हम आपस में इस पर चर्चा करेंगे जिसके बाद उसी दिन केंद्र सरकार के साथ बैठक होगी। दरअसल, सरकार के साथ बातचीत के दौरान दौरान किसान गुस्सा भी होते दिखे। किसान नेताओं ने कह दिया कि सरकार मांगे पूरी करे, नहीं तो मीटिंग छोड़कर चले जाएंगे।
उधर बैठक के दौरान कृषि मंत्री ने किसानों से आंदोलन को लेकर एहतियात बरतने की अपील की है। कोविड संकट को देखते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि आप सीनियर सिटीजंस और बच्चों से घरों को लौटने के लिए मनाइए।
वहीं इस दौरान सरकार से बातचीत के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि हमारे पास एक साल का राशन है। किसान पिछले कई दिनों से सड़क पर हैं। अगर सरकार चाहती है कि हम सड़क पर रहें, तो हमें कोई समस्या नहीं है। हम अहिंसा का रास्ता नहीं अपनाएंगे। इंटेलिजेंस ब्यूरो आपको बता ही देगा कि हम प्रदर्शन स्थल पर क्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम कॉरपोरेट फार्मिंग नहीं चाहते हैं। इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसान को नहीं।