हाल ही में राज्यसभा में कृषि बिल को पास किए जाने को लेकर हुआ हंगामा अब बढ़ता ही जा रहा है। सभी राजनीतिक दल इसमें अपना फायदा और नुकसान देख रहे हैं। इसी कड़ी में आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने उपसभापति हरिवंश सिंह पर जमकर निशाना साधा है। शिवानंद ने हरिवंश पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने राज्यसभा में कृषि संबंधी दोनों बिल पास करवाने के लिए सारी हदों को पार कर दिया है।
शिवानंद का मानना है कि जिस तरह से सारे नियमों को ताक पर रख कर ये बिल पास किया गया है। ये बिहार का बहुत बड़ा अपमान है। आगे उन्होंने कहा कि 21 सितंबर का दिन राज्यसभा के इतिहास में काले दिन के रूप में दर्ज हो गया है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर विरोधी दलों की मांग क्या थी? उनको ध्वनि मत से बिल पास कराने पर एतराज था. वे मत विभाजन चाहते थे. इस मामले में राज्यसभा संचालन की नियमावली क्या कहती है? नियमावली स्पष्ट रूप से कहती है कि एक सदस्य भी अगर मत विभाजन की मांग करता है तो आसन के लिए मत विभाजन कराना अनिवार्य है.’ तिवारी ने आगे बताया कि जब उनसे नियम और कानून के बारे में पूछा गया तो वो अपनी सफाई में कहते हैं कि सदन में बहुत ही अशांति का माहौल था इसलिए मत विभाजन करवाना उस वक्त बिल्कुल मुमकिन नहीं था। अगर ऐसा ही था तो तब ये चीज़ कहां गई थी जब उन्होंने ध्वनि मत से विभाजन कराया। तब भी सदन अशांत ही था, तो तब आपने क्यों मत विभाजन कराया?’
वहीं शिवानंद ने ये सवाल भी खड़े किए कि ‘हमारे भारत देश बहुत बड़ा है इसके बावजूद यहां कि करीब 65 से 70 करोड़ की आबादी सिर्फ और सिर्फ कृषि के ही कार्यों से जुड़ी हुई है।इसलिए ये कानून पास करने और बनाने से पहले किसी ने भी उनसे और उनके प्रतिनिधियों से सलाह-मशविरा क्यों नहीं किया? पंजाब और हरियाणा जहां के किसान सबसे ज्यादा उद्वेलित हैं, वो हमारे देश का अन्न भंडार है. कम से कम वहां के किसानों को तो भरोसा में लेना चाहिए था। तिवारी ने कहा कि माना कि पंजाब का अकाली दल आपका बहुत पुराना साथी है तो वो क्यों इस साल आपके मंत्रिमंडल से हट गया!, और दूसरी तरफ आप ये भी कह रहे हैं कि देश के किसानों को विरोधी दल बहका रहा है तो क्या ऐसा भी मान लिया जाए कि ये काम अकाली दल के द्वारा किया जा रहा है। और अगर सच में ऐसा ही है तो आपके लिए इससे बड़ी असफलता और कोई नहीं हो सकती। वहीं उन्होंने ओडिशा का बीजू जनता दल, तमिलनाडु का सत्ताधारी दल और तेलंगाना के TRS का नाम लेते हुए कहा कि ये वो दाल है जो हर वक्त मोदी सरकार के साथ खड़े रहे हैं लेकिन फिर भी ये सब चाहते थे कि इस बिल को पहले प्रवर समिति में भेजा जाए. वहां से आने के बाद उसको कानून का रूप दिया जाए। प्रवर समिति में तो सभी दलों का प्रतिनिधित्व रहता है. इसमें क्या परेशानी थी? इस कानून को पास कराने के लिए आप इतना अधीर क्यों हो गए?
इसी बीच तिवारी प्रधानमंत्री मोदी पर निशान साधने से नहीं चूके उन्होंने पीएम मोदी का नाम लेते हुए कहा कि, मोदी जी का आरोप है कि विरोधी दल के लोग किसानों को बरगला रहे हैं. लेकिन शिवानंद तिवारी का कहना है कि ‘बरगलाने के मामले में हमारे प्रधानमंत्री जी का कोई मुकाबला नहीं कर सकता है? वो पूरे देश की जनता को बरगला कर ही सत्ता में आए। जो भी वादा किया ठीक उसके विपरीत काम किया और आज भी वही कर रहे हैं। इससे तो यही साबित होता है कि मोदी जी सिर्फ कॉरपोरेट दुनिया के ही प्रधानमंत्री हैं।