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क्या आप जानते हैं भारत का राष्ट्रीय जल जीव क्या है! जानिए कौन है ये अनोखा जीव

क्या आप जानते हैं भारत का राष्ट्रीय जल जीव सिर्फ मीठे साफ़ पानी मैं ही रह सकता है, यही नहीं यह पानी की शुद्धता भी बताता है! यह एक अनोखा जीव है, जानिए के लिए आगे पढ़े!

राष्ट्रीय जल जीव डॉल्फिन को संरक्षित किया जाएगा| रिसर्च के लिए गंगा या कोसी नदी के पास तो 3 किलोमीटर का कैनाल बनाया जाएगा इसमें 10 से 15 डॉल्फिन को रखकर उसकी हर गतिविधि पर सर्च किया जाएगा।

उक्त बातें राज्य के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार ने कहीं, और पटना साइंस कॉलेज में देश के पहले डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का उद्घाटन के मौके पर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समुद्री डॉल्फिन शो की तरह गंगा डॉल्फिन का शो आयोजित होगा। इसकी संभावना तलाशी जा रही है ।इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा, छात्र शिक्षक से रिसर्च सेंटर को लेकर राय भी मांगी, कहा कि डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की किसी भी प्रकार की परेशानी को 1 सप्ताह के अंदर दूर किया जाएगा ₹30 करोड़ की लागत से बनेगा नया भवन।

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इस अवसर पर प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की नींव रखी गई है। 30 करोड़ से नया भवन बनेगा सेंटर का कार्य कैसे किया जाए इसके लिए जल्द बैठक की जाएगी ।कार्यक्रम का संचालन साइंस कॉलेज के प्रोफेसर जीबी चांद और धन्यवाद ज्ञापन जूलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अरविंद कुमार ने किया। अतिथियों का स्वागत पटना विश्वविद्यालय के डीन शह साइंस कॉलेज कॉलेज प्राचार्य प्रोफेसर श्री पद्मदेव ने किया। 1994 से प्रयास को अब सफलता मिली है। डॉल्फिन मैन के नाम से विख्यात माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय जम्मू के कुलपति प्रोफेसर आरके सिन्हा ने कहा कि शोध केंद्र के लिए प्रयास कर रहा हूं ।इसके लिए नेपाल गौमुख ,गंगासागर ,ब्रह्मपुत्र ,विदेश का भ्रमण कर डॉल्फिन की गतिविधियों का को देख रहा हूं। लैब बनने से इस पर रिसर्च हो सकेगा । इसके जेनेटिक्स को लेकर भी शोध हो सकेगा । इसे बचाने के लिए जन जागरूकता की जरूरत है ।इसके शोध में समय या किसी बिंदु सीमा का बंधन नहीं होना चाहिए ।पटना विश्वविद्यालय से मिलेगा शोध को सहयोग ।पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय रिसर्च सेंटर को पूरी तरह से सहयोग के लिए तैयार है ।

डॉल्फिन रिसर्च को लेकर विश्वविद्यालय के पास ₹50 लाख रुपए हैं। जरूरत पर इसका उपयोग किया जा सकता है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के चेयरमैन प्रोफेसर अशोक घोष ने रिसर्च सेंटर को बोर्ड की ओर से हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है बिहार में सबसे अधिक संख्या में हैं। डॉल्फिन रिसर्च सेंटर के निदेशक व जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक गोपाल शर्मा ने बताया कि देश भर में सबसे अधिक गांगेय डॉलफिन बिहार में हैं। 2018 में हुए सर्वेक्षण में 1465 की गिनती की गई थी ।

कहां कितने डॉलफिन हैं – बिहार में बक्सर से मोकामा तक333, बिहार में मोकामा से मनिहारी घाट गंगा में 750 ,बिहार में त्रिवेणी बराज से पटना तक गंडक नदी में 125 , घागरा नदी के बिहार एरिया में 155,उत्तर प्रदेश की नदियों में 1245 असम की नदियों में 960, हुगली नदी में 266, कई वन्य जीवों का होगा सरंक्षण, डॉलफिन रिसर्च सेंटर फिलहाल पटना साइंस कॉलेज स्थित पद्मश्री प्रोफेसर आरके सिन्हा के लैब में चलेगा। इसमें काफी उपकरण है, सेंटर में कई अन्य जीवों का सरंक्षण होगा । इसमें डॉल्फिन , घड़ियाल, कछुआ , छल्ला, मंगोलिया, पेंटेड, स्टोर्क , बड़ा एवम छोटा गरुड़ , मगरमच्छ आदि जीवों का संरक्षण किया जाएगा।

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