सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना वैक्सीन की दोनों दोस्त ले चुके लोगों में कोरोना संक्रमण से होने वाले मौत का खतरा 11 गुना कम हो जाता है।
इसीलिए सभी नागरिकों को यह सलाह दी जाती है कि कोरोना वैक्सीन के दूसरे दोस्त का समय होते ही अपना वैक्सीन ले लें ताकि भविष्य में होने वाले खतरे से वह खुद को बचा सके।
यह भी पढ़ें: ‘पैसे का मोह अनमोल’, खाते में आए 5.5 लाख रुपए कहा प्रधानमंत्री मोदी ने दिए हैं,वापिस क्यों करूँ
इसको लेकर शुक्रवार को अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि अत्यधिक संक्रामक डेल्टा वेरिेएंट के आम हो जाने के बाद दोनों डोज ले चुके लोगों में कोरोना से मरने की संभावना 11 गुना कम थी जबकि उनके अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 10 गुना कम थी।
बता दें कि यह डाटा रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों द्वारा प्रकाशित तीन नए पत्रों में से एक से सामने आया है, जिसमें की इस संक्रमण से लड़ने के लिए टीकाकरण को प्रभावशाली बताया गया है। इस अध्ययन में मॉडर्न वैक्सीन को डेल्टा वेरिएंट पर सबसे ज्यादा प्रभावशाली बताया गया है, लेकिन इसके कारणों को अच्छी तरह समझाया नहीं गया है।
वहीं सीडीसी के निदेशक रोशेल वालेंस्की ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि हमारे अध्ययनों में यह बात साबित हो चुकी है कि टीकाकरण काम करता है। पहले अध्ययन में 4 अप्रैल से 19 जून तक 13 अमेरिकी न्यायालयों में सैकड़ों मामलों की जांच की गई, जोकि कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के प्रभावी होने से पहले की अवधि थी, और उनकी तुलना 20 जून से 17 जुलाई के बीच सामने आए मामलों से की गई, जब डेल्टा के मामले सामने आए।
जानकारी के मुताबिक वर्तमान समय में जो लोग दोनों ही वैक्सीन डोज ले चुके हैं उनमें संक्रमण और मौज दोनों का ही खतरा 11 गुना कम है। दूसरे अध्ययन के मुताबिक कोरोना से संक्रमित मरीज को अस्पताल में भर्ती होने से बचाने मॉडर्न 95 प्रतिशत, फाइजर 80 प्रतिशत और जॉनसन एंड जॉनसन 60 प्रतिशत सफल रही। बता दें कि यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि मॉर्डन वैक्सीन अन्य वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा असरकारक कैसे रही।
News10india में आपका स्वागत है। देश विदेश की अन्य खबरों के लिए जुड़ें news10india.com से
WhatsApp पर न्यूज़ Updates पाने के लिए हमारे News10India WhatsApp Network Join करें।