हरियाणा सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभागों के बंटवारे को लेकर सरकार के भीतर खींचतान चल रही थी। हालांकि बुधवार शाम लंबी जद्दोजहद के बाद अनिल विज अपने दो महत्वपूर्ण विभागों गृह और स्वास्थ्य को बचाने में सफल रहे थे।
हरियाणा: गृह विभाग लिए जाने की बात पर नाराज हो गए थे अनिल विज, कर दी थी इस्तीफे की पेशकश
इसके बाद नए कैबिनेट मंत्री डॉ. कमल गुप्ता को अनिल विज से लेकर शहरी स्थानीय निकाय विभाग सौंपा गया है। इसके बाद गुरुवार को विज ने कहा कि जब उन्हें कहा गया कि उनसे गृह विभाग लिया जा सकता है तो उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा देने की पेशकश की थी।
उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री ने उन्हें गृह विभाग से हटाने और इसे अपने पास रखने का इरादा व्यक्त किया, तो उन्होंने कहा कि यदि वह ऐसा चाहते हैं, तो वह सभी पोर्टफोलियो ले सकते हैं। वे अपने सभी विभागों को छोड़ने को तैयार हैं।
पहले भी हो चुका है विवाद
पिछले साल, सीआईडी के नियंत्रण को लेकर भी विज की सीएम मनोहर लाल के साथ कई दिनों तक तनातनी चली थी। इसके बाद विज से विभाग का प्रभार लेकर सीएम ने इसे अपने पास रखा था।
उस समय भी विज ने सीआईडी द्वारा विभिन्न मुद्दों पर जानकारी नहीं दिए जाने या फीडबैक नहीं दिए जाने पर नाखुशी जाहिर की थी। हालांकि, बाद में विज ने कहा था कि मुख्यमंत्री सर्वोच्च है और किसी भी विभाग को हटा या विभाजित कर सकते हैं।
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अधिकारियों पर लगाया था विभागीय काम में बाधा डालने का आरोप
इसी साल जुलाई में अनिल विज ने आरोप लगाया था कि कुछ अधिकारी सीएम को खुश करने के लिए उनके विभागीय काम में बाधा डाल रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि दोनों के बीच मतभेद हैं। उन्होंने यह टिप्पणी पुलिस महानिदेशक मनोज यादव के कार्यकाल को लेकर मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद की थी। मनोहर लाल यादव को राज्य के पुलिस प्रमुख के रूप में बनाए रखने के इच्छुक थे, जबकि विज इस साल की शुरुआत में दो साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें बदलने के पक्ष में थे।
यह होगा बदलाव
मुख्यमंत्री के पास अब हाउसिंग फार ऑल, उपमुख्यमंत्री के पोर्टफोलियो में विकास एवं पंचायत, श्रम व रोजगार, गृह मंत्री अनिल विज के पास शहरी निकाय व अनूप धानक के पास पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग नहीं रहेगा।
गृह, स्वास्थ्य विभाग बचाने में कामयाब रहे विज, सिर्फ यूएलबी छोड़ने पर माने
विज से दो विभाग मांगे जा रहे थे, जिस पर वह बिल्कुल तैयार नहीं हुए। भाजपा आलाकमान के बीच में आने पर अंतत यह तय हुआ कि एक विभाग विज का कम होगा और एक मुख्यमंत्री अपने कोटे से कम करेंगे।
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विज ने गृह व स्वास्थ्य न छोड़ने का अपना फरमान मंत्रिमंडल विस्तार से पहले ही पार्टी के बड़े नेताओं को सुना दिया था। दो विभाग कम करने के प्रस्ताव को उन्होंने सिरे से ही खारिज कर डाला। गुप्ता को विभाग पहले से चले आ रहे मंत्रियों के कोटे से ही दिए जाने थे, इसलिए मुख्यमंत्री ने आलाकमान को बीच का रास्ता सुझाया।
कमल गुप्ता की स्वास्थ्य विभाग में थी रूचि
नए कैबिनेट मंत्री कमल गुप्ता की पेशे से डॉक्टर होने के कारण स्वास्थ्य विभाग में रूचि थी, जो उन्हें नहीं मिल पाया। वित्त विभाग सौंपने की भी अटकलें ही रहीं। गृह मंत्री अनिल विज का कहना है कि विभाग आवंटन को लेकर उनकी कोई नाराजगी नहीं थी। उनका काम जनसेवा है, जिस पर खरा उतरने के लिए वह दिन रात एक कर रहे हैं।
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निकायों में और सुधार की उम्मीद, ग्रामीण विकास पकड़ेगा रफ्तार
विज ने शहरी निकायों में सुधार को लेकर अनेक कदम उठाए। भ्रष्टाचार की शिकायतों पर गुरुग्राम व फरीदाबाद नगर निगम में कैग ऑडिट व सीबीआई जांच के आदेश दिए। कर्मचारियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का प्रयास किया, लेकिन निकाय कर्मचारी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। इससे निकायों के कामकाज पर विपरीत असर पड़ रहा है।
निकायों के विकास की रफ्तार जितनी तेज होनी चाहिए, उतनी नहीं रही। अब गुप्ता को विभाग मिलने पर और सुधार की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार उनकी प्राथमिकता निकायों में फैली अव्यवस्था को दुरुस्त करना व निगमों, परिषद व नगर पालिका को वित्त के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है। ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग में भी कामों की रफ्तार तेज होने की उम्मीद है।