बिहार के मोतिहारी में स्वास्थ्य विभाग की भारी लापरवाही देखने को मिली है।यहां पर लाखों रुपये की कीमत वाली दवाईयां को पताही पीएचसी भवन के पीछे कचरे में फेंका गया है।इस बात को छुपाने के लिए दवाओं में आग भी लगा दी गई है।इस मामले में
सिविल सर्जन ने जांच के लिए कमेटी बनाई है।
बिहार में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही आई सामने,लाखों रुपये की जीवनरक्षक दवाओं को कचरे में फेंका
यह मामला सामने आने के बाद एक बार फिर नीतीश सरकार पर सवाल उठ रहे है।गौरतलब है कि सुशासन की सरकार में स्वास्थ्य विभाग की प्रगति के लाखों दावे किए जा रहे हैं,लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है।
बता दें कि यह पूरा मामला पूर्वी चंपारण के पताही के सरकारी अस्पताल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की है।जहां लाखों रुपये की जीवनरक्षक दवाओं को एक बार फिर से कचरे में फेंक दिया गया है।
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केंद्र और राज्य सरकारें लाखों रुपये खर्च कर इन दवाओं को जिला अनुमंडल तथा प्रखंडों में इसलिए भेजती है, ताकि गरीब लाचार और जरूरतमंद मरीजों की जान बचाई जा सके।लेकिन इन कीमती दवाओं को कचरे के ढेर में इस तरह से फेक दिया जाता है।
नियम के मुताबिक अगर सरकारी अस्पतालों की दवाएं एक्सपायर या फिर खराब हो जाती है,तो ऐसे में पीएचसी कर्मियों को इसकी सूचना जिला मुख्यालय तथा सिविल सर्जन को देनी होती है और इसके बाद सर्जन के आदेश के बाद इन दवाओं को नष्ट किया जाता है
पर यहां ऐसा नहीं किया गया।बताया जा रहा है कि मरीजों को अस्पताल से दवा देने की जगह उन्हें बाजार के मेडिकल शॉप का रास्ता दिखा दिया जाता है।
इस मामले में एक मरीज के परिजन अरुण कुमार ने कहा है कि पताही पीएचसी में कभी भी दवा नहीं मिलती और आज अस्पताल के पीछे दवा को जला दिया गया है।
इसके अलावा सिविल सर्जन अंजनी कुमार ने दवाओं को फेंकने तथा साक्ष्य को छुपाने के लिए दवाओं को जलाने के मामले से अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि एक कमेटी बनाकर मामले की जांच कराई जाएगी और इसके अलावा उन्होंने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट आने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।