Breaking News
Home / देश / एक पत्रकार की “आत्मकथा”

एक पत्रकार की “आत्मकथा”

मै एक पत्रकार हूँ, मै समाजसेवी कहलाता हूँ।
मै एक पत्रकार हूँ मैं चौथा स्तंभ कहलाता हूँ।
मै एक पत्रकार हूँ सबकी सुनता हूँ। फिर चाहे वो खुनी हो या कातिल। अनपढ़ हो या विद्वत जन।
मेरे काम में बड़ा है रिस्क एक जीत जाये तो दूसरा दुश्मन, दूसरा जीत जाये तो पहला दुश्मन।

फिर भी मुझे ना तो कोई प्रोटेक्सन नहीं मिलता। ना ही रिपोर्टर प्रोटेक्सन बिल पास ही होता।
मैं सबसे बड़े संघ का सदस्य हूँ परंतु मुझे सामूहिक बीमा नहीं मिलता।

मैं बीमार होता हूँ संघ की आस ताकता हूँ। मुझे मेडिकल बीमा नहीं मिलता।
मुझे किराये पर कोई मकान नहीं देता मुझे संघ की तरफ से पत्रकार आवास नहीं मिलता ।
मै जिनके लिये लिखा करता हूँ। उनके पोर्टेक्सन के लिये ढेरों नियम और कानून है। परंतु मेरे प्रोटेक्सन के लिये कोई कानून नहीं।

मुझे लोन देने मैं बैंकों के द्वारा आना कानी किया जाता है।
मै हमेशा दूसरों की सोचता हूँ पर मेरी कोई नहीं सोचता।
क्योकी मै एक पत्रकार हूँ।
मुझे ईश्वर ने मौका दिया है पीड़ित और शरणागत के रक्षा करने की। बावजूद मैं अपने काम के प्रति सजग हूँ। तभी तो आमजन के साथ पीड़ितों की सुनता रहता हूँ। ।
मुझे और मेरे परिवार को मदद देने मे लोगो को तकलीफ होती है। जबकि सबकी तकलीफ कम कर भ्रष्टाचारी के नकाव को उतारने मे जीवन लगा देता हूँ ।
मुझे आम जन के सेवा का अवसर मिला है और सेवा के बदले कई मर्तबा अपशब्दों से भी गुजरना पड़ता है ।
मेरे दर्द को कोई समझे न समझे पर मैं सभी के दर्द को जानता समझता हूँ।

क्यों के मैं एक पत्रकार हूँ । यह व्यथा-
वरूण कुमार ठाकुर के कलम से ( न्यूज 10 इंडिया दरभंगा संवाददाता )

About News10India

Check Also

उपस्थिति भले कम हो लेकिन सवाल पूछने में टॉप टेन बिहारी सांसद बन गए अजय मंडल

बिहार से लोकसभा में माैजूदगी दर्ज कर रहे सांसदों की एक रिपोर्ट सामने आई है। …

Leave a Reply

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com