Breaking News
Home / उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड / अयोध्या फैसला: बूटा सिंह के सुझाव पर पक्षकार बनने कोर्ट पहुंचे रामलला

अयोध्या फैसला: बूटा सिंह के सुझाव पर पक्षकार बनने कोर्ट पहुंचे रामलला

सेंट्रल डेस्क आयुषी गर्ग:-   सुप्रीम कोर्ट की सांविधानिक पीठ ने अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर बनाने के लिए जिन रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया, उन्हें पक्षकार बनाने का सुझाव किसी भाजपा या विश्व हिंदू परिषद के नेता का नहीं था। यह सुझाव तत्कालीन गृहमंत्री बूटा सिंह ने दियाथा।  दरअसल 1989 से पहले बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि को लेकर तीन मामले अदालत के सामने थे। 1951 में गोपाल सिंहविशारद ने याचिका दायर कर रामलला की पूजा करने का अधिकार मांगा था। जबकि 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने मंदिर के प्रबंधन केअधिकार उन्हें दिए जाने की मांग की थी। इन दोनों में से किसी ने जन्मभूमि पर अधिकार की बात नहीं की थी। केवल 1961 में सुन्नीवक्फ बोर्ड की याचिका में मस्जिद की भूमि के स्वामित्व की मांग की गई थी। 


 

1988-89 में जब राम जन्मभूमि आंदोलन अपने चरम पर था, उस दौरान तत्कालीन गृहमंत्री बूटा सिंह ने विहिप नेताओं को समझाया कि आंदोलन से मंदिर नहीं बन पाएगा। वह या तो संसद द्वारा कानून बनाने से होगा या फिर अदालत से मुकदमा जीतने से। उनका कहना थाचूंकि अदालत में किसी ने भी मंदिर की भूमि के स्वामित्व की मांग नहीं की है, इसलिए अदालत से जब भी फैसला होगा, वह सुन्नी वक्फबोर्ड के हक में ही होगा। 

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने शनिवार को जन्मस्थान को तो विधिक पक्ष नहीं माना, लेकिन रामलला विराजमान को अपने जन्मस्थान का विधिक स्वामी करार दिया और उनके जन्मस्थान पर मंदिर बनाने के आदेश दिए। 


 

पूर्व जज अग्रवाल ने अभिभावक बनकर दायर की याचिका

विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय के मुताबिक बूटा सिंह ने ही पटना में सिविल मामलों के विशेषज्ञ पूर्व वकील जनरल लाल नारायणसिन्हा से मिलने की सलाह दी। सिन्हा ने ही उन्हें रामलला विराजमान की ओर से याचिका दायर करने की सलाह दी। जस्टिस देवकीनंदनअग्रवाल ने इसके बाद 1989 में रामलला विराजमान और जन्म स्थान के बतौर विधिक अभिभावक इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिकादायर कर राम जन्म भूमि पर स्वामित्व उन्हें सौंपे जाने की मांग की। 


 

आपराधिक मामले में भी पक्ष में फैसले का भरोसा

बाबरी मस्जिदध्वंस को भले ही सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी करार दिया हो लेकिन विहिप को इस मामले में भी अपने पक्ष में फैसला आनेकी उम्मीद है। अभी तक 1100 में से 350 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं और मार्च तक फैसला सुनाया जाना है। चंपत राय काकहना है अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत आधे गवाह तो विहिप के सदस्य हैं। इनमें से एक त्रिलोकी पांडे तो सुप्रीम कोर्ट में खुद वादी थे। 

About News10India

Check Also

बिहार में मुसलमानों की बदहाली पर PK का RJD पर बड़ा हमला

मुसलमान 32 साल से राजद को वोट दे रहा है, कोई राजद या तेजस्वी से …

Leave a Reply

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com