मॉस्को में मिले भारत चीन के रक्षा मंत्री
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी पर तकरीबन 4 महीने से जारी सैन्य तनाव को दूर करने के लिए भारत चीन के बीच उच्चस्तरीय बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
शुक्रवार को देर रात मॉस्को में चीन की पहल पर दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की अगुवाई में बातचीत हुई। भारतीय समयानुसार 9:30 बजे शुरू हुई यह बैठक तकरीबन ढाई घंटे चली वार्ता को लेकर दोनों तरफ से रात 12:30 बजे तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया था। भारतीय रक्षा मंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी कि बैठक 2 घंटे 20 मिनट तक चली है । बैठक में रक्षा सचिव अजय कुमार और रूस में भारत के राजदूत डी बी वेंकटेश भी शामिल हुए।
30 और 31 अगस्त को लगातार दो दिनों में दोनों देशों के बीच एलएसी पर चीन का रवैया बदला दिख रहा है।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री वेयफेंग की मुलाकात ने अगले गुरुवार 10 सितंबर को मास्को में ही दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात की राह भी खोल दी है। सूत्रों ने बताया है कि राजनाथ सिंह और भी फ्रेंड के बीच मुलाकात में लद्दाख के मौजूदा तनाव और इसे दूर करने के प्रभावी तरीकों पर बहुत गहराई से बातचीत हुई है ।
इस साल मई के पहले हफ्ते से ही पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर कई स्थलों पर चीनी सेना के अतिक्रमण के कारण वहां हालात तनावपूर्ण है ।
भारतीय सैनिकों ने एलएसी पर कई अहम और संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है जहां से चीनी सैनिकों की हर हरकत पर अच्छे से नजर रखी जा सकती है।
सख्त रुख का असर:
भारत ने शीर्ष सैन्य स्तर पर साफ संकेत दे दिया है कि वह चीन की तरफ से किसी भी तरह के अतिक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है भारत ।
तनाव के बीच दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच सोमवार से लगातार बातचीत भी हो रही है। शुक्रवार को भी दोनों पक्षों के बीच 3 घंटे वार्ता चली जिसमें एलएसी पर मई 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल करने को लेकर कई विकल्पों में कई विकल्पों पर चर्चा हुई। भारत और चीन के रक्षा मंत्री शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शामिल होने के लिए मास्को पहुंचे हैं। यह बैठक शुक्रवार को दिन में हुई थी रक्षा मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता का प्रस्ताव चीनी पक्ष की तरफ से गुरुवार को आया था ।
10 सितंबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की प्रस्तावित बैठक हालात को सामान्य बनाने की दिशा में अहम साबित हो सकती है ।
जयशंकर विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मॉस्को जाएंगे। एस जयशंकर ने शुक्रवार को भी विकसित देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक में हिस्सा लिया इसमें चीन के विदेश मंत्री वांग भी थे।
30 और 31 अगस्त की रात हुई झड़प के बाद चीन का वार्ता के लिए प्रस्ताव रखना इस बात का प्रबल संकेत है कि चीन मुद्दे को सुलझाने के लिए आगे बढ़ रहा है।
इसका यह भी निकाला जा सकता है कि चीन को अपनी गलती का एहसास है और इसे ठीक करने के लिए भारत से सहायता की उम्मीद लगा सकता है।