सरकार नई शिक्षा नीति को लागू करने जा रही है। शिक्षा नीति का यह बदलाव 50 साल के बाद हो रहा है यह शिक्षा नीति 1968 के पुराने ढांचे को पूरी तरह बदल देंगी। देखना यह होगा कि क्या यह नई शिक्षा नीति 2022 के समय सीमा तक रखे गए सफल लक्ष्य को हासिल कर पाएंगी या नहीं। इस बात की बेचैनी लोगो में बनी हुई है।
इसमें स्कूली शिक्षा में फाउडेशन स्तर के नए शिक्षाक्रम की शुरुआत होगी। जिसमे प्री-प्राइमरी से दुसरी कक्षा तक की पढाई शामिल होगी। प्राथमिक प्राइमरी शिक्षाक्रम सिमट कर तीसरी, चौथी और पांचवी तक रह जाएगा। कहा गया है कि समय के साथ शिक्षा का बदलाव होना भी जरूरी है।रटने रटाने का चलन ख़त्म हो गया और बच्चो में आवश्यक ज्ञान, मूल्य, रुझान, हुनर और कौशल जैसे तार्किक, चिंतन, बहुभाषी, क्षमता,साक्षरता जैसे विषयो के विकास में मदद मिलेगी।इस नई शिक्षा नीति के बदलाव में स्कूली शिक्षा क्रम माध्यमिक स्तर का होगा, जो तीन साल का होगा और इनमे छह ,सात,आठवीं ,कक्षा शामिल होगी। वही चौथे क्रम में उच्च या सेकंडरी स्तर का होगा। जो चार वर्ष का होगा।जिसमे नौवीं, दसवीं, ग्यारवी और बारहवीं की पढ़ाई शामिल होगी।स्कूली शिक्षा में प्रस्तावित फाउंडेशन शिक्षा पांच सालों की होगी। जिसमें तीन साल प्री-प्राइमरी और दो साल में पहली और दूसरी की पढ़ाई होगी। शिक्षा नीति के मुताबिक, बदलाव की यह सिफारिश को मौजूदा दौर में बच्चों की उम्र और उनकी जरूरतों के लिहाज पर तय किया गया है। हालांकि, शिक्षानीति में यह साफ किया गया है कि इस आधार पर भौतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में बदलाव करने की कोई जरूरत नहीं है।
स्कूली शिक्षा की नीति में कुछ इस तरह से हुआ बदलाव।
पांच वर्षो की बुनियादी अवस्था इनमे तीन वर्ष प्री प्राइमरी स्कूल के और पहली और दूसरी कक्षा होगी शामिल।प्राथमिक(प्राइमरी) शिक्षा तीन वर्ष की होगी। इनमे अब सिर्फ कक्षा तीन, चार और पांच शामिल होगा। तीन वर्ष की होगी माध्यमिक अवस्था, इनमे कक्षा छह, सात और आठ होगी शामिल। उच्च या सेकंडरी अवस्था: यह चार वर्षो की होगी। इनमे कक्षा नौ, दस, ग्यारवीऔर बारहवीं होगा शामिल।