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सवर्ण आरक्षण के पक्ष में नहीं हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार!

सेन्ट्रल डेस्क, साहुल डेस्क : केन्द्र की मोदी सरकार ने गरीब सवर्णो को10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान ​संविधान में कर दिया है। सरकार के इस फैसले के बाद कई राज्यों में भी इसे लागू कर दिया गया है। गुजरात, तेलंगना और यूपी में इसे लागू कर दिया गया है। वहीं बिहार में भी इस आरक्षण के कानून को जल्द ही लागू करने को लेकर तैयारियां चल रही हैं। वहीं विपक्ष ने भी इस विधेयक के पेश होने पर पुरजोर विरोध करने की तैयारी करनी शुरू कर दी है। लेकिन इस बीच जो सबसे बड़ी बात देखने को मिल रही है वो यह है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार गरीब सवर्ण आरक्षण को लागू करने की बात तो कर रहे हैं लेकिन उनका झुकाव भी अपने विरोधियों की तरफ हीे हैं।

नीतीश कुमार सवर्ण आरक्षण के पक्ष में नहीं हैं !

बिहार में गरीब सवर्णों को केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण को लागू करने की बात सीएम नीतीश कुमार कर तो रहे हैं। लेकिन वे साथ ही जातिगत जनगणना और आरक्षण इस अधार पर ओबीसी और एससी/एसटी को मिलने वाले आरक्षण में बढ़ोतरी करने की मांग भी अपनी ही सहयोगी बीजेपी सरकार से भी कर रहे हैं। ऐसे में कही न कही नीतीश अपने बीच के रास्ते की अपनी राजनीति को अभी भी जिंन्दा रखने की कोशिश में लगे हैं।

हाल ही में जब नीतीश कुमार कर्परी ठाकुर की जयंती पर संबोधन कर रहे थे तो उन्होंने एक बार जातिगत जनगणना की बात करते हुए कहा कि एक बार इसके हो जाने से सारे तथ्य सामने आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि तथ्यों के सामने आने के बाद उसी हिसाब से तय हो जाएगा कि आरक्षण क्यों नहीं होगा और कब तक एक सीमा तक आरक्षण रहेगा। उन्होंने कहा कि एक संदर्भ में 50 प्रतिशत की सीमा लगा दी गयी है लेकिन एक बार जातिगत जनगणना पूरे तौर पर हो जाएगी तो उसके बाद ठीक ढंग से संविधान में प्रावधान करके कोई उपयुक्त उपाय किया जा सकता है। ताकि सबको इसका लाभ मिले।

नीतीश कुमार पर ने लालू यादव बिना नाम लिए कहा कि जब मंडल कमिशन की अनुशंसा लागू की गयी तो बिहार में कर्पूरी ठाकुर के समय से आरक्षण के प्रावधान को ख़त्म करने की साज़िश रची गयी। लेकिन उन्होंने जब चेतावनी दी कि हम बरदाश्‍त नहीं करेंगे तब उनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन कराने की कोशिश की गयी।नीतीश कुमार का बयान कही न कही इस ओर इशारा तो करता ही है कि तत्काल वर्तमान आरक्षण नियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि इसे बढ़ाया जाये। यानी नीतीश अपने सहयोगी बीजेपी के वीरीत तो जाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वे डायरेक्ट बीजेपी के इस स्टेप का विरोध नहीं कर रहे हैं।

नीतीश कुमार जानते हैं कि उनका कोर वोटर भी लगभग उसी समाज से आता है जिसकी राजनीति राजद करती है। ऐसे में बिहार में सवर्ण आरक्षण का लागू होना कही न कही नीतीश कुमार के इस वोट बैंक पर असर डालेगा। वहीं दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्विटर पर एक बार फिर से गरीब सवर्ण आरक्षण के विरोध में ट्वीट कर यह बता दिया है कि अगर बिहार मे इसे लागू किया गया तो वे खुद और उनकी पार्टी इसका विरोध करेंगे।ऐसे में नीतीश कुमार को भी इस बात की चिता है कि विपक्ष के रवैये से उनका वोट बैक दूसरी तरफ भी खिसक सकता है।

विधानसभा से पहले तेजस्वी ने ट्वीटर पर किया सवर्ण आरक्षण का विरोध

फरवरी में होनेवाले विधानसभा सत्र में सवर्ण आरक्षण का बिल नीतीश सरकार पेश करेगी। नीतीश सरकार के इस बिल का बिरोध राजद करेगी। राजद ने संसद के दोनो सदनों में भी इससे पहले इस बिल का विरोध किया था। वहीं तेजस्वी यादव ने ट्वीटर पर इस बारे में पोस्ट कर इस बारे में साफ कर दिया है कि वे इस बिल का विरोध विधानसभा में करेंगे।

तेजस्वी ने लगातार कई सरे ट्विट किए हैं। इसमें उन्होंने केन्द्र की सरकार से सवाल करते हुए हमला बोला है। तेजस्वी ने कहा है कि मनुवादी सरकार संविधान का दरूपयोग कर जाती के अधार पर मिले आरक्षण को खत्म करना चाहती है। तेजस्वी ने पूछा — बताओ, किस आधार पर मनुवादी सरकार ने जातिगत आरक्षण व सामाजिक पिछड़ेपन का आधार बदल आर्थिक आधार में तब्दील कर रहे है? किस रिपोर्ट, आयोग और सर्वेक्षण के आधार पर? अब इनकी मनमानी नहीं चलेगी। ये चालाक क़िस्म के लोग है। युगों-युगों से पिछड़ों-दलितों को ठगते आए है। मूर्ख बनाते आए है।

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