बताया जा रहा है कि ताइवान और हांगकांग के बाद चीन ने तिब्ब्त मामले को हवा दी है। ऐसा काम कर के अमेरिका ने चीन के जले पर नमक छिड़का है। कहा जा रहा है कि अभी दोनों देशों के अन्तराल ताइवन को लेकर एक शीत युद्ध की तरह हालात बने हुए हैं।
अमेरिका के तिब्बीत कार्ड पर लगी चीन को मिर्ची
जिसके बाद बाइडन के प्रशासन ने तिब्बतत का नाम लेकर चीन को और उकसाने का काम किया है। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रेपति जो बाइडन ने तिब्बत मामलों के लिए भारतीय मूल की राजनयिक अजरा जिया को अपना स्पेशल को-आर्डिनेटर नियुक्त किया है।
जिससे चीन पूरी तरह से बलबला उठा है। एक तो चीन का मामला दूसरा उसमें अमेरिकी हस्तक्षेप और तीसरा भारतीय मूल के राजनयिक की नियुक्ति से चीन को जबरदस्ता मिर्ची लगी है। कहा जा रहा है कि अमेरिका के रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक सांसदों का एक प्रभावशाली समूह पहले से ही तिब्बत मुद्दे में हस्तक्षेप करने और दलाई लामा से बात करने के लिए बाइडेन प्रशासन पर दबाव बना रहा था।
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गौरतलब है कि बाइडन के राष्ट्रकपति ने भारतीय के मूल राजनयिक अजरा को तिब्बात पर एक समझौते के लिए चीन और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच ठोस बातचीत को आगे बढ़ाने की जिम्मे दारी सौंपी है।
जिसके बाद प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्र पति ने ऐसा करके तिब्बयत के मशले को एक बार फिर से हवा दी है। बताया जा रहा है कि हांगकांग और ताइवान की तरह चीन तिब्बित को अपना ही हिस्सा मानता है। जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रकपति ने संकेत दिया है कि तिब्बात भी एक स्व तंत्र क्षेत्र है। अमेरिका तिब्बत को चीन का हिस्साि नहीं मानता है।