चीन ने छोटे से यूरोपीय देश लिथुआनिया को “इतिहास के कचरे के डिब्बे” में डालने की धमकी दी है। बता दे की ड्रैगन लिथुआनिया के उस कदम पर आगबबूला हो गया है, जिसके लिथुआनिया ने ताइवान को अपनी राजधानी विनियस में एक प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की इजाजत देकर चीन के ‘वन चीन पॉलिसी’ को खारिज कर दिया है।
चीन ने यूरोपीयन देश को इतिहास के कचरे के डिब्बे में फेंक देने की दी धमकी
दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला कम्युनिस्टों द्वारा शासित देश चीन ने दुनिया के सबसे छोटे देशों में शुमार और सिर्फ 30 लाख की आबादी वाले देश लिथुआनिया को धमकी देने में एक मिनट का वक्त भी नहीं लगाया।
वही चीन की धमकी को लिथुआनिया ने भी दरकिनार करते हुए ताइवान को औपचारिक रूप से मान्यता देकर अपने यूरोपीय पड़ोसियों से अलग हो गया, जो एक स्व-शासित द्वीप ताइवान पर चीन के दावे का या तो समर्थन करता है, या फिर खामोश रहता है।
ताइवान को औपचारिक मान्यता
आपको बता दे की ताइवान खुद को एक अलग देश मानता है, जबकि चीन ताइवान को अखंड चीन का हिस्सा मानता है, इसके अलावा दुनिया के अधिकतर देश ताइवान को लेकर चुप ही रहते हैं।
इस साल अगस्त में लिथुआनिया ने कहा था कि, वह ताइवान को अपने नाम पर अपने देश में एक कार्यालय खोलने की अनुमति देगा, जिसके चलते बीजिंग गुस्से में आग-बबूला हो गया और उसने जवाब में लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया। इसके कारण चीन और लिथुआनिया के साथ राजनयिक संबंध और भी ज्यादा खराब हो गये।
यह भी पढ़ें: गृह मंत्री का बयान …यदि शरीफ लौटना चाहें तो दूंगा फ्लाइट का टिकट
ताइवान पर आक्रामक हुआ चीन
कुछ वर्षों में ताइवान पर चीन काफी ज्यादा आक्रामक होता नज़र आ रहा है और हर दूसरे दिन चीन के युद्धक जहाज ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करते रहते हैं और इस बात की संभावना भी काफी ज्यादा बढ़ गई है, कि ताइवान चीन पर आक्रमण कर सकता है,
बता दे की ताइवान को लेकर चीन का अमेरिका के साथ साथ ब्रिटेन, साउथ कोरिया, जापान और ऑस्ट्रेलिया के संबंध भी काफी बिगड़ गये हैं। वहीं, चीनी रिपोर्ट के मुताबिक , चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस सप्ताह संवाददाताओं से बात कर कहा कि लिथुआनिया सार्वभौमिक सिद्धांतों के विपरीत पक्ष में खड़ा है, जिसका कभी सुखद अंत नहीं होगा।
कूड़ेदान में बह जाएगा लिथुआनिया
चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने चेतावनी दी और कहा कि, “जो लोग ताइवान की अलगाववादी ताकतों के साथ मिलीभगत से काम करने पर जोर दे रहे हैं, उन्हें इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा। वहीं, नवम्बर में ताइवान ने राजधानी विनियस में प्रतिनिधित्व कार्यालय खोल लिया और लिथुआनिया की रजामंदी के बाद पहली बार चीनी ताइपे की जगह ताइवान कार्यालय लिखा गया है।
बता दें कि, चीन की नाराजगी मोल लेने से बचने के लिए कई देश अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ताइवान का नाम तक नहीं लेते हैं और उसे ‘चीनी ताइपे’ के नाम से पुकारते हैं।
यह भी पढ़ें: कोरोना पीड़ितों की मदद के नाम पर इमरान खान पर अरबों रुपये के घोटाले का आरोप
ताइवान को लेकर रहता है सख्त
बता दे की चीन उन देशों को राजनयिक मान्यता देने से इनकार कर देता है, जो ताइवान को एक स्वतंत्र देश बताते हैं। चीन के इस दबाव के कारण दुनिया के सिर्फ 15 देश ही ताइवान को एक स्वतंत्र और संप्रभु देश मानते हैं और ताइवान को इन देशों में राजनीतिक मान्यता दे रखी है
वही सिर्फ 15 देशों के साथ ही ताइवान का राजनीतिक गठबंधन है। खबरों के मुताबिक चीन की धमकी के बाद अधिकतर मल्टीनेशनल कंपनियां लिथुआनिया के साथ अपने संबंधों को खत्म करने के लिए तैयार हो गई है