सेंट्रल डेस्क आयुषी गर्ग:- नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पास हो गया है. इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े हैं. वहीं विपक्ष में 80 वोट पड़े हैं. लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने हंगामा किया और केंद्र सरकार के सामने सवाल रखे, जिसका जवाब गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में दिया।
नागरिकता संशोधन बिल पर बहस के दौरान अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस देश का विभाजन न करती तो मुझे यह बिल लेकर नहीं आना पड़ता. लोकसभा में शाह ने कहा, मैं चाहता हूं देश में भ्रम की स्थिति न बने. किसी भी तरीके से ये बिल गैर संवैधानिक नहीं है. न ही ये बिल अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है. धर्म के आधार पर ही देश का विभाजन हुआ था. देश का विभाजन धर्म के आधार पर न होता तो अच्छा होता. इसके बाद इस बिल को लेकर आने की जरूरत हुई. 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ था, जो कि धरा का धरा रह गया.
कौन कर सकेगा आवेदन
बिल के कानून बनने के बाद इन तीन देशों के गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी, बशर्ते वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हों. इस तारीख से पहले आए शरणार्थी ही नागरिकता पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं. पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों को छोड़कर देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में यह कानून लागू होगा और नागरिकता हासिल करने वाले शरणार्थी देश के किसी भी हिस्से में रहने के हकदार होंगे.
बता दे 3 देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में इस्लाम को राज्य धर्म बताया है. वहां अल्पसंख्यकों को न्याय मिलने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है. 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी. 2011 में ये 3.7% पर आ गई.
– बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में 7.8 % हो गई. आखिर कहां गए ये लोग. जो लोग विरोध करते हैं उन्हें में पूछना चाहता हूं कि अल्पसंख्यकों का क्या दोष है कि वो इस तरह क्षीण किए गये?
– 1951 में भारत में मुस्लिम 9.8 प्रतिशत थे. आज 14.23 प्रतिशत हैं, हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. आगे भी किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा.
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