लाइफस्टाइल डेस्क, दिव्या द्विवेदी: आज के समय में महिला हो या पुरूष हर कोई ऑफिस जाता है। कहा जाता है कि ऑफिस हमारे लिए तनाव भरा होता है। जितना हम घर पर आराम महसूस करते है उससे कहीं ज्यादा हम ऑफिस में तनाव फील करते है। जिसके कारण घर जल्दी जाने की पड़ी रहती है लेकिन हाल ही में एक शोध सामने आईं है कि कई लोग खासतौर पर महिलाएं घर से ज्यादा ऑपिस में रिलैक्स फील करती है। उन्हें ऑफिस में कम तनाव महसूस होता है। जानिए इस चौकाने वाली स्टडी के बारें में और बातें।
स्टडी में शामिल 122 प्रतिभागियों का पूरा सप्ताह स्ट्रेस हॉर्मोन के लेवल की जांच की और साथ ही उन्हें दिन के अलग-अलग समय पर अपने मूड को रेट करने के लिए भी कहा। इस स्टडी के नतीजे बताते हैं कि अपने वर्कप्लेस पर घर की तुलना में लोग कम तनाव में दिखे। जिसके कारण इस विषय को लेकर जब बहुत ही गहराई से जांच की गई तो रिसर्चस ने पाया कि महिलाएं घर की तुलना में ऑफिस में ज्यादा खुश रहती हैं तो वहीं, पुरुष ऑफिस से ज्यादा घर पर खुश रहते हैं। अलग-अलग सामाजिक और आर्थिक बैकग्राउंड में भी यह परिणाम एक जैसे नजर आए।
आप भी जानिए ऑफिस में तनाव कम होने का कारण –
तनाव कम होले का मुख्य कारण जॉब सैटिस्फैक्शन होती है। ऐसा देखने में आता है कि महिलाओं को जो जॉब पसंद नहीं आता वे उसे आसानी से बदल कर ऐसी जॉब करने लगती हैं जिसमें उन्हें खुशी मिलती है। वहीं पुरुषों की बात करें तो पुरुष अगर जॉब से संतुष्ट न हों तब भी वे उसमें बने रहते हैं। वर्किंग महिला जो की मां भी होती है उन पर ज्यादा तनाव होता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑफिस में महिलाएं सिर्फ अपने काम पर फोकस करती हैं और इसलिए वे वहां कम तनाव महसूस करती हैं लेकिन जब वे घर लौटती हैं तो यहां आकर उन्हें घर के कामों में सेकंड शिफ्ट शुरू करनी पड़ती है और मल्टी-टास्किंग होना पड़ता है जिस वजह से उनका स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है। जॉब सैटिस्फैक्शन इसकी सबसे बड़ी वजह है। ऐसा देखने में आता है कि महिलाओं को जो जॉब पसंद नहीं आता वे उसे आसानी से बदल कर ऐसी जॉब करने लगती हैं जिसमें उन्हें खुशी मिलती है। वहीं पुरुषों की बात करें तो पुरुष अगर जॉब से संतुष्ट न हों तब भी वे उसमें बने रहते हैं।
इस स्टडी के बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑफिस में महिलाएं सिर्फ अपने काम पर फोकस करती हैं और इसलिए वे वहां कम तनाव महसूस करती हैं लेकिन जब वे घर लौटती हैं तो यहां आकर उन्हें घर के कामों में सेकंड शिफ्ट शुरू करनी पड़ती है और मल्टी-टास्किंग होना पड़ता है जिस वजह से उनका स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है।