टेस्ट खेलने वाले सबसे पुराने देशों में भारत ही ऐसा है जिसने अभी तक डे-नाइट टेस्ट मैच नहीं खेला था। मगर 22 नवंबर से कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान पर भारतीय टीम अपना पहला ऐतिहासिक डे-नाइट टेस्ट मैच बांग्लादेश के खिलाफ खेलेगी। इस मैच पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, मगर डर इस बात का भी है कि पिंक बॉल मैदान पर बर्ताव कैसा करेगी।
हालांकि, गुलाबी गेंद को लेकर कई क्रिकेटरों के अपनी अलग-अलग राय है। कोई ओस की बात कर रहे हैं तो को दूधिया रोशनी का हवाला दे रहे हैं। पिंक गेंद को लेकर भारत के सीनियर ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह पहले ही अपनी राय रख चुके हैं कि ईडन गार्डन्स में दूधिया रोशनी में गुलाबी गेंद से अंगुली के स्पिनरों की तुलना में कलाई के स्पिनरों की गेंद को समझना अधिक मुश्किल होगा।
वहीं, तत्कालीन पिच और ग्राउंड्स कमेटी के चेयरमैन दलजीत सिंह दो लाइनों में स्पष्ट करते हैं कि कोलकाता में गुलाबी गेंद की हरकत से बचने के लिए मैदान पर कम और पिच पर बड़ी घास रखनी होगी। दलजीत के मुताबिक पिच पर घास हरी नहीं बल्कि भूरी होनी चाहिए। वरना मुकाबला जल्द खत्म हो जाएगा।
डे-नाइट टेस्ट में किन गेंदबाजों का बोलबाला होता है। तेज गेंदबाजों की धमक होती या स्पिनर्स उसके तूलना में ज्यादा सफल होते हैं। इस आंकड़ों से समझने की कोशिश करेंगे की आखिरी डे नाइट टेस्ट में किसकी चलती है। 11 डे-नाइट टेस्ट में 366 विकेटों में 96 स्पिनर्स ने लिए हैं, जबकि तेज गेंदबाज उम्मीद के मुताबिक खास प्रदर्शन नहीं कर पाए।
इन 11 टेस्ट मैचों में दो टेस्ट एशिया में खेले गए हैं, जो कि दुबई में खेला गया था। यहां खेले गए इस मुकाबलों में 73 विकेटों में से 46 विकेट स्पिनर्स के नाम रहे। तो इस छोटे से आकड़ों से यह समझा जा सकता है कि डे-नाइट टेस्ट में तेज गेंदबाजों के मुकाबले स्पिनर्स की ज्यादा चलती है। तो ऐसे में सवाला यह भी उठ रहा है कि क्या कोलकाता टेस्ट में कलाई के स्पिनर कुलदीप यादव को जगह मिलती है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।
हाल ही में टीम इंडिया के अनुभवी गेंदबाज हरभजन सिंह ने याद दिलाया कि 2016 में दिलीप ट्रॉफी में गुलाबी गेंद से कुलदीप कितने खतरनाक गेंदबाज बन गए थे। कुलदीप यादव गुलाबी गेंद से खेले गए 2016 के दिलीप ट्रॉफी टूर्नामेंट में तीन मैच खेले थे। इस दौरान उन्होंने सबसे ज्यादा 17 विकेट हासिल किए थे।
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