नई दिल्ली,साहुल पाण्डेय : मोदी सरकार ने आतंकव0ादियों और आतंकी गतिविधियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ दी है। यहीं कारण है कि करीब 3 दशकों से पेर जमाए बैठे आतंकी तंत्र की जड़े अब उखड़ने लगी है। हाल ही में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद अलगाववादी समूह जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर को राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों के लिये गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत को प्रतिबंधित करने का फसला लिया है। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक में लिश गया।
दरअसल जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर देश में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों संग संबंध होने के आरोप है। एक ओर जहां सरकार ने जमात-ए-इस्लामी को बैन किया है तो वहीं आतंकी गतिविधियों को कश्मीर में बढ़ाने की ड्यूटी निभानेवाले हुर्रियत के नेताओं के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। उहुर्रियत नेताओं के कई घरों, दफ्तरों और संपत्तियों को सील कर दिया है.
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वही शनिवार को कश्मीर में कई जगहों पर अधिकारियों ने जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं के घरों और संपत्तियों को सील किया है। मजिस्ट्रेट ने जमात-ए-इस्लामी से जुड़े घरों और संस्थानों को सील करने का आदेश दिया था। इससे पहले सुरक्षा बलों ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले के बाद अलगाववादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी तथा जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया था।
एसी जानकारी है कि बीते चार दिनों में करीब 200 से अधिक जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है। सरकारी अधिकारियों की माने तो जमात-ए-इस्लामी (जेईएल) ही वह संगठन है जो जम्मू—कश्मीर में सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन और हुर्रियत कांफ्रेंस के गठन के लिए जिम्मेदार है।
आतंकवाद पर दोनों ओर से चोट कर रही सरकार
जमात-ए-इस्लामी को बैन कर और हुर्रियत के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर सरकार ने आतंकवाद के वैचारिक और आर्थिक तंत्र दोनों पर चोट की है। 2017 से ही ईडी और एनआईए ने आतंकी फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थेी। वहीं इनकी जांच के कारण ही जांच के कारण हुर्रियत नेताओं की अकुत संपत्ति की हकीकत सबसे सामने आ गई है। बता दें कि आतंकी संगठन, अलगाववादी और कट्टरपंथी धार्मिक ये सभी घाटी में एक दूसरे के पूरक थे। ऐसे में सरकार ने इन सभी पर एक साथ कार्रवाई की है। भारतीय सेना द्वारा बालाकोट में किए गए एरियल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के खिलाफ दुनिया भर के देशों के रुख से पड़ोसी को भी लग गया है कि वह अब इस मामले पर अकेला पड़ गया है।