Written By : Amisha Gupta
दीवाली की रात को बिहार के हाजीपुर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था, जो कि दिल्ली जैसे प्रमुख प्रदूषित क्षेत्रों से भी अधिक था।
यहां की हवा की गुणवत्ता 340 AQI तक पहुंची, जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक मानी जाती है।
इस बढ़े हुए प्रदूषण का मुख्य कारण पटाखे नहीं थे, बल्कि आसपास के राज्यों में जलाए जा रहे पराली से निकलने वाले धुएं और मौसम की परिस्थितियों का मेल था। पराली जलाने से निकलने वाला धुआं मुख्य रूप से PM2.5 और PM10 जैसे कणों का निर्माण करता है, जो वायुमंडल में गहराई से फैलते हैं और स्थानीय स्तर पर हवा की गुणवत्ता को बिगाड़ते हैं।
इसके अलावा, हाजीपुर में तापमान में गिरावट और हवा के ठहराव के कारण धुएं और प्रदूषकों का फैलाव धीमा हो गया, जिससे ये ज़मीन के पास ही बने रहे और AQI बढ़ता गया।
बिहार सरकार ने पटाखों पर नियंत्रण के प्रयास किए थे, और पटाखों के अपेक्षाकृत कम उपयोग के बावजूद, इस प्रदूषण की गंभीरता मुख्य रूप से पराली जलाने और स्थिर मौसम की स्थिति के कारण थी। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की परिस्थितियों से बचने के लिए पराली जलाने के प्रभाव को नियंत्रित करने के उपायों की जरूरत है। हाजीपुर जैसे क्षेत्रों में स्थित एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग को बढ़ाने और लोगों को सचेत करने से स्थानीय निवासियों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने में मदद मिल सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं।