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लोकसभा सांसद बनने का मौका मिला तो एक लाख युवाओं को रोजगार देंगे : कलाम

मोहम्मद हसनैन की रिपोर्ट-
शिवहर लोकसभा क्षेत्र उपेक्षा का शिकार है। अगर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाये और खाद्यान्न एवं कृषि आधारित उद्योग स्थापित किये जायें तो इस क्षेत्र के कम से कम एक लाख युवाओं को रोजगार दिया जा सकता है। यह कहना है लोकसभा क्षेत्र के कर्मठ समाजसेवी अबुल कलाम खान का। अगर उन्हें इस क्षेत्र से लोकसभा सांसद बनने का मौका मिला तो वे सबसे पहले क्षेत्र में रोजगार की स्थिति को ठीक करेंगे। ताकि यहां के युवाओं को रोजगार के लेकर अन्य प्रदेशों में जाकर अपमानित न होना पड़े, उन्हें अपने राज्य में ही सम्मान से जीने का मौका मिले। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश।

प्रश्न : कौन सी लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं?
कलाम : मैं मुजफ्फरपुर का रहने वाला हूं। शिवहर के साथ मेरा पुराना नाता है। यह नया और बिहार का सबसे छोटा जिला है। यहां पर विकास कार्यों के लिए असीम संभावनाएं हैं। यहां करने के लिए बहुत कुछ है। मेरा सपना है इसे देश के सबसे सुंदर जिले के रूप में विकसित किया जाये। इस काम में अगर मुझे योगदान का मौका मिले तो मेरे लिए बेहद सम्मान की बात होगी।

प्रश्न : गरीबी का पुख्ता इलाज क्या मानते हैं?
कलाम- रोजगार के साधन बढ़ाये जायें। मनरेगा जैसी योजनाओं की मजदूरी बढ़ायी जाये। लेकिन अंत्योदय योजना जैसे सस्ते अनाज से समाज में निकम्मापन बढ़ रहा है जो अंतत: अराजकता को बढ़ावा दे रहा है। उन बच्चों के माता-पिता जो अपने बच्चों से काम कराते हैं उनके बच्चों को स्कूल भेजा जाये। लेकिन उनके माता-पिता के रोजगार की स्थिति पर भी ध्यान दिया जाये। यह काम बूथ-ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर तक करने की जरूरत है। इसके अलावा शिवहर में तमाम ऐसे धार्मिक स्थान हैं जिनका जीर्णोद्धार कर बड़े धार्मिक और पर्यटक स्थलों में बदला जा सकता है। इनपर अब तक कोई काम नहीं किया गया है। यहां से हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है। लोगों की गरीबी दूर हो सकती है। इसके अलावा क्षेत्र में रोजगार की तमाम संभावनायें। पतंजलि और वालमार्ट जैसे बड़े रिटेल स्टोर खोले जा सकते हैं। बड़े फूड पार्क लगाये जा सकते हैं। इसके लिए यहां जमीन एवं अन्य संसाधन उपलब्ध हैं। कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना की जा सकती है। इनसे हजारों लोगों की रोजगार मिल सकता है।

प्रश्न : शिवहर में क्या समस्याएं देख रहे हैं, जिनपर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है?
कलाम : बीते 10 वर्ष से यहां बीजेपी की सरकार है और लगातार 2 बार से रमादेवी इस क्षेत्र के सांसद के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। लेकिन क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर कोई प्रगति नहीं हुई है। यहां तक कि क्षेत्र में न तो कोई बड़ा स्वास्थ्य केंद्र और न ही एकीकृत विश्वविद्यालय। इन दोनों क्षेत्रों में यह क्षेत्र पटरी से उतरा हुआ है। युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए मुजफ्फपुर और पटना जाना पड़ता है। जब शिक्षा ही नहीं होगी तो युवाओं को रोजगार कहां से मिलेगा। इसके अलावा इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बेहद खस्ता है। बीमारी की स्थिति में लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या निजी अस्पतालों के दुष्चक्र में फंसने के लिए मजबूर हैं। अगर मुझे यहां से सांसद बनने का मौका मिलता है तो इन दोनों क्षेत्रों पर प्रमुखता से काम करूंगा। युवाओं के लिए विश्वविद्यालय और आम जनता के लिए मेडिकल कालेज स्तर का अस्पताल खुलवाना मेरी प्राथमिकता में होगा। क्षेत्र में नहरी सिंचाई का नितांत अभाव है। इस बारे में अभी सोचा ही नहीं गया है। मैं हरियाणा, पंजाब की तर्ज पर खेती के लिए नहरों की व्यवस्था कराके मैं किसान भाइयों की मदद करना चाहता हूं। इससे पैदावार तो बढ़ेगी ही किसानों की आय भी बढ़ेगी।

प्रश्न – एक आम आदमी के रूप में अगर क्षेत्र के आधारभूत ढांचे और कानून व्यवस्था को कैसे देखते हैं?
कलाम- इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो न तो क्षेत्र में रेलवे स्टेशन है और न तो हवाई अड्डा। यहां तक की क्षेत्र की सड़कों को भी फोरलेन से नहीं जोड़ा गया है। इस वजह से पटना से सौहर की मात्र 125 किमी की दूरी तय करने में 4 से 4.30 घंटे का समय लगता है। अगर इसे फोरलेन से जोड़ दिया जाये तो यह दूरी मात्र 1.30 घंटे में तय की जा सकती है। लेकिन वर्तमान सांसद ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। शिवहर जब से जिला बना है, इस ओर विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। कानून व्यवस्था का हालत यह है कि प्रशासनिक अधिकार रात के समय यहां पर ठहरना पसंद नहीं करते बल्कि मुजफ्फरपुर स्थित अपने मुख्यालयों को चले जाते हैं। जब अधिकारी यहां नहीं ठहरते तो आम जनता किन हालात में है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पुलिस थानों से लेकर फायर ब्रिगेड की हालत काफी खराब है।

प्रश्न : क्षेत्र के मुसलमानों की स्थिति को लेकर क्या कहेंगे?
कलाम- कमोबेश क्षेत्र के मुसलमानों की हालत वैसी ही है जैसी पूरे देश में मुसलमानों की है। न तो उनके लिए बेहतरीन शिक्षा की व्यवस्था है और न रोजगार की।

प्रश्न : मदरसों में शिक्षा को लेकर क्या कहना है?
कलाम- अगर मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक प्रणाली से जोड़ दिया जाये। उनका स्तर धार्मिक शिक्षा प्रणाली से ऊपर उठाकर उनमें बोर्ड प्रणाली लागू हो, उनमें हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, खेलकूद, शारीरिक विकास जैसे विषयों को लागू किया जाये तो यही मदरसे देश को अधिक उत्पादक, स्वालंबी युवा देंगे। उनके लिए बेहतरीन नौकरियों के मौके खुलेंगे।

प्रश्न : वर्तमान में केंद्र/राज्य सरकार से मुसलमानों के लिए उम्मीद?
कलाम – सबसे पहले सरकारें मुसलमानों को वोट बैंक के रूप में प्रयोग करना बंद करें। वोटों के ध्रुवीकरण के लिए अगर मुसलमानों को पार्टियां टिकटें नहीं देंगी तो देश की 20 प्रतिशत आबादी का लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व की स्थिति कैसी हो जायेगी। आज देश में यही हो रहा है। उनका लोकसभा में 5 प्रतिशत भी प्रतिनिधित्व नहीं है। इस वजह से यह वर्ग पिछड़ता चला जा रहा है।

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