मई 2020 में चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में तनाव शुरू होने के बाद भारतीय सेना ने करीब 50,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती LAC पर की है ऐसे में पूर्वी लद्दाख, उत्तरी सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात होने वाले भारतीय सैनिकों को अब स्वदेशी गर्म कपड़े मिलेंगे बता दे की ये एक्सट्रीम वेदर क्लोदिंग सिस्टम न केवल बेहद आरामदेह होने के साथ साथ इनका रखरखाव भी बहुत आसान है. इन खास कपड़ों का वज़न बहुत कम है और इन्हें पहनकर सैनिक अपना काम आसानी से कर पाएंगे 28 दिसंबर को DRDO ने इन कपड़ों की तकनीक को 5 स्वदेशी कंपनियों को दे दिया है और वो जल्द इनका उत्पादन शुरू कर देंगी इस रक्षा कवच के निर्माण को रक्षा क्षेत्र में देसी यानी मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट की दिशा में अहम कामयाब माना जा रहा है भारतीय सेना अभी तक बहुत अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े विदेशों से खरीदती थी वही इस खास रक्षा कवच वाले कपड़ों को जीरो से 50 डिग्री नीचे के तापमान पर तैनात सैनिकों को इश्यू किया जाता है
बता दें कि बीते साल मई 2020 में चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में तनाव शुरू होने के बाद भारतीय सेना ने करीब 50,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती LAC पर की है जिसके चलते इन सभी सैनिकों के लिए 2020 में अमेरिका से खास कपड़े आयात किए गए थे लेकिन अब भारतीय कंपनियां ही सैनिको के लिए इन कपड़ों को बनाएंगी DRDO द्वारा बनाए गए कपड़े तीन लेयर में पहने जाते हैं और इनसे 15 डिग्री से लेकर शून्य से 50 डिग्री नीचे के तापमान पर आराम से पहना जा सकता है इसके अलावा इन विशेष कपड़ों को वाटरप्रूफ और विंडप्रूफ बनाया गया है ताकि हिमालय के ऊपरी इलाकों में होने वाली बर्फबारी और तेज बर्फीली हवा से बचाव किया जा सके सबसे अच्छी बात तो यह है की इनको पहनकर शरीर के हर हिस्से को आसानी से हरक़त कराई जा सकती है और इसमें कोई रुकावट नहीं आती केवल एक लेयर पहनकर 15 डिग्री तापमान में काम किया जा सकता है जबकि तीनों लेयर के साथ शून्य से 50 डिग्री तक की सर्दी को आराम से झेला जा सकता है. इस तरह अलग-अलग लेयर ज़रूरत के हिसाब से पहनी जा सकती है
इन कपड़ो की धुलाई की बात करे तो ये कपड़े बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते इसलिए इसे धोने की जरूरत नहीं है. इन कपड़ों को डिज़ाइन करने वाली DRDO की लैब DIPAS के डायरेक्टर डॉ. राजीव वार्ष्णेय ने बताया कि कपड़ों को डिज़ाइन करने में शरीर की गर्मी को बाहर जाने से रोकने के साथ-साथ आराम का भी ध्यान रखा गया है ताकि लंबे अरसे तक इसे पहनकर ड्यूटी करने वाले सैनिकों को थकावट न हो. इनका खास हुड भीषण सर्दी में चेहर को पाले से बचाता है और बर्फबारी से भी, बता दे की सेना की मांग के मुताबिक इनका वजन कम रखा गया है ताकि सैनिक को अपनी ड्यूटी करते समय अतिरिक्त दबाव न पड़े. इनकी लागत विदेशों से आयात किए जाने वाले कपड़ों से काफी कम है और इससे विदेशी मुद्रा की काफी बचत होगी.